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DevBhoomi Insider Desk
• Wed, 11 Aug 2021 11:16 am IST


वेलमेड अस्पताल ने दुर्लभ सर्जरी कर बचाई मां और बच्चे की जान


बिना बच्चेदानी निकालें प्लेसेंटा एक्रीटा से पीड़ित गर्भवती महिला का कराया प्रसव। देहरादून, टर्नर रोड स्थित वेलमेड हॉस्पिटल की स्त्री एवं प्रसूति रोग विशेषज्ञ डॉ. तरूश्री ने प्लेसेंटा एक्रीटा से पीड़ित गर्भवती महिला की दुर्लभ सर्जरी कर दो जिन्दगियों को  जीवनदान दिया है। ऐसी स्थिति में अक्सर बच्चेदानी को निकालना ही एक उपाय होता है लेकिन वेलमेड हॉस्पिटल की प्रशिक्षित विशेषज्ञों ने बिना बच्चेदानी निकाले मां - बच्चे की जान बचाई।
गौरतलब है कि सात महीने की गर्भवती महिला भारी रक्तस्राव की शिकायत लेकर इमरजेंसी में आई थी, जहां डॉक्टर द्वारा जांच करने पर पता चला कि महिला को प्लेसेंटा एक्रीटा की दिक्कत है। भारी रक्तस्राव के कारण महिला में खून की कमी भी  हो गई थी, डॉ. तरूश्री, डॉ. आशुतोष व टीम ने मिलकर तुरंत महिला की सिजेरियन डिलीवरी कराई और बिना बच्चेदानी को निकालें महिला को मौत के मुंह से बाहर निकाला। प्री मेच्योर डिलीवरी होने के कारण बच्चे को एनआईसीयू में रखा गया और महिला कुछ दिन आईसीयू में रहने के बाद पूरी तरह से स्वस्थ हो चुकी हैं।
बता दें, गर्भ में अंडे का निषेचन होने के समय निषेचित अंडा यानी फर्टलाइज्ड एग फेलोपियन ट्यूब से होते हुए गर्भाशय में प्रत्यारोपित होता है।आमतौर पर  महिलाओं में यह गर्भाशय के ऊपर की ओर विकसित होता है, लेकिन कुछ मामलों में प्लेसेंटा अपनी निर्धारित जगह पर विकसित नहीं होता और गर्भाशय के निचले भाग में यानी गर्भाशय ग्रीवा या सर्विक्स  के पास विकसित होने लगता है। इससे कई बार गर्भाशय ग्रीवा आंशिक या पूर्ण रूप से ढक जाती है। यानि इस तरह के मामलो में गर्भनाल या प्लेसेंटा जो बच्चे के विकास में अहम रोल निभाता है, वह ठीक गर्भाशय के मुंह पर स्थित हो जाता है। जो कई तरह से खतरनाक साबित हो सकता है। 
यह स्थिति 200 महिलाओं में से किसी एक को होती है  और ऐसे मामलों में प्रसव के बाद भी प्लेसेंटा बच्चेदानी से चिपका रहता है, जिससे बच्चेदानी और आस - पास के अंग खराब होने की संभावना बढ़ जाती है, आमतौर पर ऐसी स्थिति में बच्चेदानी को निकालना ही एकमात्र उपाय बचता है लेकिन डॉ. तरूश्री ने बिना बच्चेदानी निकाले महिला की सिजेरियन डिलीवरी कराई और प्लेसेंटा को अलग कर महिला के यूट्रस को भी बचा लिया। बता दें कि यूट्रस निकलवाने से महिलाओं को कई अन्य समस्याएं जैसे - बांझपन, ऑस्टियोपोरोसिस,  हार्मोन की कमी के कारण मनोवैज्ञानिक विकार आदि।
इस सर्जरी के बाद मरीज के परिजनों ने हॉस्पिटल के सीएमडी डॉ. चेतन शर्मा, डॉ. तरूश्री वर्मा, डॉ. हिमांशु कुमार, डॉ. आशुतोष, सभी नर्सिंग व पैरामेडिकल स्टॉफ का धन्यवाद कहा।