रानीखेत (अल्मोड़ा)। पहाड़ के विकास को केंद्र बिंदु में रखकर ही उत्तराखंड राज्य के निर्माण की मांग बुलंद हुई। तमाम शहादतों और आंदोलनों के बाद सन 2000 में उत्तराखंड राज्य अस्तित्व में आया, लेकिन पहाड़ ही विकास से कोसों दूर छूट गए। नतीजतन पहाड़ में स्वास्थ्य, शिक्षा सहित तमाम बुनियादी सुविधाएं नहीं होने से ग्रामीण खुद को ठगा महसूस करते हैं। ठोस कृषि नीति नहीं बनने के कारण लोगों की रोजीरोटी तक प्रभावित होने लगी है। इधर रानीखेत विधानसभा के तमाम ग्रामीणों का कहना है कि सरकार को पहाड़ के विकास पर फोकस करना चाहिए।
पहाड़ के विकास की अवधारणा को लेकर अलग उत्तराखंड की मांग बुलंद हुई थी, लेकिन राज्य बनने के बाद सरकारों ने पहाड़ को ही बिसरा दिया। स्थायी राजधानी गैरसैंण नहीं बनाई गई। पहाड़ में कृषि नीति नहीं बनी। जंगली जानवरों के आतंक से खेतीबाड़ी चौपट हो चुकी है। आने वाली सरकार पहाड़ पर फोकस करे।