उत्तराखंड के उच्च हिमालयी क्षेत्रों से लगातार खतरे के संकेत मिल रहे हैं. बीते दिनों केदारनाथ में एवलाॉन्च की कई घटनाएं देखने को मिली. इसके बाद उत्तरकाशी के द्रौपदी का डांडा में हिमस्खलन है. जहां कई पर्वतारोहियों की जान चली गई. ग्लोबल वार्मिंग के चलते ग्लेशियर पिघल रहे हैं. इससे न सिर्फ हादसे हो रहे हैं, बल्कि हमारे बुग्यालों को भी नुकसान पहुंच रहा है. ग्लेशियर का हिमक्षेत्र कम होता जा रहा है, जिसका असर बुग्यालों पर भी पड़ रहा है. इस बीच एक चिंता बढ़ाने वाली खबर बागेश्वर से सामने आई है. जहां मशहूर पिंडारी ग्लेशियर पिछले 40 सालों में करीब 700 मीटर पीछे खिसक गया है. पिंडारी यात्रा मार्ग पर पड़ने वाले बुग्यालों में भी लगातार भूस्खलन हो रहा है. जिसे लेकर पर्यावरणविदों ने चिंता जाहिर की है.