चंपावत। चंपावत जिले में पिछले साल चार दिसंबर के बाद एक बूंद बारिश नहीं हुई है। मौसम के इस मिजाज का असर खेत-खलिहानों पर पड़ रहा है। सूखे खेतों से परेशान हाल किसान आसमान की ओर टकटकी लगाए हैं। बारिश न होने से न फसलें जम पाई है और न ही फसलों की वृद्धि ठीक से हो पा रही है। नमी की कमी से खेतों में खुरदुरा पना होने के अलावा सब्जियां बर्बाद होने का खतरा होने लगा है। मुख्य कृषि अधिकारी गोपाल सिंह भंडारी का कहना है कि 15 जनवरी तक बारिश नहीं होने पर फसल को नुकसान पहुंचने का अंदेशा है।बारिश नहीं होने से पहाड़ के काफी हिस्सों में गेहूं, मसूर, सरसों, जई, जौं आदि की फसलों को नहीं बो सके हैं। 30 प्रतिशत किसानों ने बुआई ही नहीं की है। और जिन्होंने बुआई की भी है, तो उनमें से अधिकांश जगह नमी की कमी मुश्किल बन रही है। फसलों की वृद्धि पर इसका असर पड़ा है। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक चंपावत में आखिरी बार चार दिसंबर 2023 को दो मिलीमीटर बारिश हुई। सूखे के इस हाल से खेतों में नमी कम हो गई है। गेहूं, जौ, लहसुन, प्याज के पौधों में पीलेपन का खतरा बढ़ गया है।