कहते हैं नवजात का रोना उसके लिए वरदान है। वह जितनी तेजी से रोता है, फेफड़ा उतना ही मजबूत होता है। मगर, कम वजन वाले बच्चे नहीं रोते, जिससे फेफड़ा सक्रिय नहीं हो पाता।
लेकिन अब चिंता करने की जरुरत नहीं है। दऱअसल ऐसे नवजातों को तकनीक की मदद से रुलाकर फेफड़ा सक्रिय जाएगा। ऐसे नवजातों के लिए पॉजीटिव एंड एक्सपाइरेटरी प्रेशर यानि पीईईपी जीवनदायिनी है। देश-विदेश में किए गए शोध में सामने आया है कि, पीईईपी की मदद से नवजात मृत्युदर में 40 फीसदी की गिरावट आई है।
क्योंकि, पैदा होने के बाद लगभग 90 फीसदी नवजात तत्काल रोते हैं, लेकिन 10 फीसदी को दवा और देखभाल की जरूरत होती है। इनमें ज्यादातर कम वजन वाले होते हैं। एक किग्रा से कम वजन वाले गंभीर माने जाते हैं। इनके लिए पीईईपी को उपयुक्त माना गया है। विभिन्न शोध के मेटा एनालिसिस (विश्लेषण) में भी यह साबित हुआ है।