उत्तराखंड के अलग राज्य बनने पर इसमें 13 जिले शामिल किए गए। कुछ समय बाद विकास को रफ्तार देने के लिए नए जिलों के गठन की बात उठी। कहा गया कि छोटी प्रशासनिक इकाइयां बनने से विकास गति पकड़ेगा। प्रदेश में अब तक अंतरिम समेत पांच सरकारें आ चुकी हैं, लेकिन नए जिलों का गठन नहीं हो पाया है। ऐसे में नजर अब आने वाली नई सरकार पर टिक गई है। दरअसल, नए जिलों के गठन की घोषणा वर्ष 2011 में तत्कालीन मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने की। उन्होंने कोटद्वार, यमुनोत्री, रानीखेत और डीडीहाट को नया जिला बनाने की घोषणा की। इसका शासनादेश भी जारी हुआ। वर्ष 2012 में कांग्रेस सत्ता में आई तो उसने इस शासनादेश पर अमल करने की बजाय एक नई समिति बनाई, जिसने जिलों के गठन के मानकों को शिथिल करने का निर्णय लिया, लेकिन अब तक भी इस मामले में कोई फैसला नहीं हो पाया।