देहरादून। उत्तराखण्ड सरकार ने ‘उत्तराखण्ड वयोवृद्ध श्रमजीवी पत्रकार पेंशन योजना‘ को कुछ संशोधनों के ‘उत्तराखण्ड संकटाग्रस्त वयोवृद्ध पत्रकार पेंशन योजना’ के नाम से जारी किया है। जिसके अंतर्गत पॉंच हजार रूपये प्रतिमाह पेंशन दी जायेगी। नवीन शर्तों और प्रतिबंधों के साथ योजना के तहत 60 वर्ष पूर्ण करने वाले उत्तराखण्ड निवासी ऐसे पत्रकार इस योजना से लाभान्वित होंगें जिनकी सभी स्रोतों से वार्षिक आय ढाई लाख से अधिक न हो और वह 15 वर्ष से राज्य या जिला स्तर पर मान्यता प्राप्त पत्रकार हो।
प्रतिबंध यह भी होगा कि उत्तराखण्ड संकटाग्रस्त वयोवृद्ध पत्रकार पेंशन योजना की समिति के सदस्य पेंशन के लिए पात्र नहीं होंगे। साथ ही समाचार पत्र पत्रिका के स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक भी इस पेंशन के लिए अर्ह नहीं होगें। पेंशनधारक की मृत्यु की उपरान्त उनकी मूल पेंशन की 50 प्रतिशत पेंशन आश्रित पत्नी को आजीवन मिलेगी। उत्तराखण्ड मे विभिन्न मीडिया संस्थानों, व पत्र पत्रिकाओं में कार्य करने वाले अनेक पत्रकार ऐसे हैं जिन्होंने सूचना एवं लोक संपर्क विभाग से प्रेस मान्यता नहीं ली हुई है।
लेकिन वे वर्षों से सक्रिय और श्रमजीवी पत्रकार हैं। उनके संबंध में नई नियमावली के कुछ भी नहीं कहा गया है। राज्य में लघु, मध्यम एवं मझोले समाचार पत्र-पत्रिकाओं को प्रकाशन करने वाले ऐसे पत्रकार भी हैं जो अपने समाचार पत्र पत्रिकाओं के स्वयं ही स्वामी, प्रकाशक, मुद्रक और संपादक हैं ऐसे पत्र-पत्रिकाओं के संपादकों के लिए भी नियमावली में कोई उल्लेख नहीं है। नियमावली के बिन्दु 5 में जिस महत्वपूर्ण बिन्दु को उल्लेख किया गया है उसमें कहा गया है कि‘‘…. अध्यक्ष/उपाध्यक्ष सहित दो तिहाई सदस्यों की सहमति से पेंशन स्वीकृति हेतु अनुशंसा की जायेगी जो अंतिम होगी। इसे वाद का विषय नहीं बनाया जायेगा।…..’’