हरिद्वार: धर्मनगरी हरिद्वार में हजारों यात्री होटलों में आकर ठहरते हैं. लेकिन यहां के ज्यादातर होटल बिना फायर सेफ्टी मानकों के चल रहे हैं. जिससे यात्रियों की सुरक्षा पर बड़ा खतरा मंडराता रहता है. जबकि अग्नि शमन विभाग सिर्फ नोटिस थमा कर अपनी जिम्मेदारी पूरी कर लेता है. बता दें कि हरिद्वार में हजारों की तादाद में छोटे-बड़े होटल हैं, साल भर कई हजार श्रद्धालु और यात्री इन होटलों में आकर ठहरते हैं. लेकिन चिंता की बात ये है कि हरिद्वार के ज्यादातर होटल बिना फायर एनओसी के चल रहे हैं. यानी इनमें आग की घटना से निपटने के इंतजाम नहीं किए गए हैं. हाल ही में एक होटल में आग लग गई थी. जिसमें फायर ब्रिगेड की टीम ने चार यात्रियों को मुश्किल से बाहर निकाल कर उनकी जान बचाई थी.होटल व्यापारियों आशु शर्मा का कहना है कि पुराने बने होटलों के लिए विभाग को अभियान चलाकर उनके लिए एनओसी जारी करनी चाहिए. ताकि ज्यादा से ज्यादा होटल संचालक आग से बचाने वाले उपकरण लगवा सकें और आग लगने का खतरा कम रहेगा. हरिद्वार में अवैध होटलों का संचालन किस पैमाने पर हो रहा है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि यहां पर्यटन विभाग में महज 144 होटल रजिस्टर्ड हैं.जबकि यहां छोटे बड़े होटलों की संख्या करीब 1 हजार से ज्यादा है. पर्यटन विभाग के अधिकारियों के मुताबिक फायर और निर्माण के मानक पूरे ना होने के चलते सभी होटलों को रजिस्टर्ड नहीं किया जा सकता है. विभागीय अधिकारियों की मानें तो नई बन रही बिल्डिंगों के लिए फायर फाइटिंग उपकरण लगाए बिना उनकी एनओसी जारी नहीं की जाती है. हालांकि पुरानी कमर्शियल बिल्डिंग को सिर्फ नोटिस ही जारी किया जाता है.