नैनीताल: सरोवर नगरी नैनीताल में मां नंदा देवी के मेले का आगाज हो गया है. कदली वृक्ष यानी केले के पेड़ से मां नंदा सुनंदा की मूर्तियों का निर्माण कर दिया गया है. जिसके बाद अब ब्रह्म मुहूर्त में मां नंदा और सुनंदा की इन प्रतिमाओं की प्राण प्रतिष्ठा कर भक्तों के दर्शन के लिए खोल दिया गया है. नैनीताल में मां नंदा सुनंदा की मूर्तियों को पूर्ण रूप से हाथों से बनाया जाता है और ये मूर्तियां पूरी तरह से इको फ्रेंडली होती हैं. इन मूर्तियों को बनाने में रुई, बांस, कपास, केले के पेड़ समेत प्राकृतिक रंगों का प्रयोग किया जाता है. मूर्तियों को इको फ्रेंडली बनाने का मुख्य कारण है कि डोला विसर्जन के बाद इनसे निकलने वाले पदार्थ किसी प्रकार से प्रकृति को नुकसान नहीं पहुंचते हैं.कई वर्षों से मां नंदा सुनंदा की मूर्तियों का निर्माण कर रहीं कलाकार आरती बताती हैं कि मां नंदा और सुनंदा अपना आकर (स्वरूप) खुद धारण करती हैं. कभी मां का हंसता हुआ चेहरा बनता है, तो कभी दुख भरा सामने आता है. जिससे आने वाले समय का भी आकलन किया जाता है, कि आने वाला समय कैसा होगा. कई सालों से मां की मूर्ति को आकर दे रहे कलाकार बताते हैं कि उनके द्वारा मां की मूर्ति के निर्माण में जो भी रंग और सामान प्रयोग में लाए जाते हैं, वो पूरी तरह से इको फ्रेंडली होते हैं.