नई दिल्ली: दिल्ली के तालकटोरा स्टेडियम में शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्टूडेंट्स से 'परीक्षा पे चर्चा' कार्यक्रम में बातचीत की। करीब दो घंटे तक चले इस कार्यक्रम में उन्होंने परीक्षा और जीवन में तनाव पर बच्चों के सवालों के जबाव दिए। पीएम ने 'एग्जाम में परिवार की निराशा से कैसे निपटूं' पर छात्रों को टिप्स दी। यह ‘परीक्षा पे चर्चा’ कार्यक्रम का छठा संस्करण है, जिसके लिए 20 लाख से अधिक प्रश्न प्राप्त हुए।
पीएम मोदी के स्पीच की बड़ी बातें
प्रधानमंत्री मोदी ने क्रिकेट की गुगली, घर में मां के मैंनेजमेंट, पतंग का मांझा और पार्लियामेंट में सांसदों की नोक-झोक जैसे उदाहरण देकर
बच्चों को समझाया। इस दौरान उनके स्पीच की कुछ बड़ी बातों के अंश पढ़िए...
ज्यादा से ज्यादा भाषाएं सीखें: कम्युनिकेशन एक
बहुत बड़ी शक्ति है। जैसे हम सोचते हैं प्यानो या तबला सीखूं तो ऐसे ही अपने
पड़ोस के किसी राज्य की भाषा भी सीखनी चाहिए।
तनाव से बचने के लिए सामर्थ्य पर ध्यान दें: यदि हम अपने
सामर्थ्य पर ध्यान देते हैं तो तनाव नहीं होता।
गैजेट्स का गुलाम न बनें: सबसे पहले तो ये
निर्णय करना है कि आप स्मार्ट हैं या फिर गैजेट्स स्मार्ट है। कभी-कभी लगता है कि
आप अपने से ज्यादा गैजेट्स को स्मार्ट मानते हैं। यकीन करिए परमात्मा ने अपने बहुत
सी शक्तियां दी हैं। गैजेट्स को केवल आगे बढ़ने के लिए इस्तेमाल करना चाहिए।
अपने लक्ष्य पर फोकस रखें: संसद में विपक्ष
के लोग साइकोलॉजी जानते हैं, इसलिए जानबूझकर ऐसी बात छेड़ देते हैं कि हम अपना विषय
छोड़कर उसका जवाब देने में लग जाते हैं। हमें बस अपने लक्ष्य पर फोकस रखना चाहिए।
आलोचना बहुत मुश्किल काम है। ऐसे में लोग शॉर्टकट अपनाते हैं और आरोप लगाते हैं। दोनों
में बहुत फर्क है। हम आरोपों पर ध्यान न दें, मगर आलोचना को अपने लिए जरूरी समझें।
शिक्षकों को सलाह: पीएम मोदी ने
शिक्षकों से कहा कि स्टूडेंट जब कोई सवाल पूछता है तो वह आपकी परीक्षा नहीं लेना
चाहता, यह उसकी जिज्ञासा
है। किसी भी जिज्ञासु बच्चे को टोकें नहीं। अगर जवाब नहीं भी आता है तो उसे
प्रोत्साहित करें कि तुम्हारा प्रश्न बहुत अच्छा है। इसका जवाब मैं तुम्हें
कल दूंगा और इस दौरान मैं खुद इसका जवाब ढ़ूंढूंगा।