गोमुख से गंगा सागर तक पद यात्रा पर निकले नागपुर के युवा अतुल चौकस 205 किमी. की यात्रा कर गंगा तीर्थ देवप्रयाग पहुंचे। पेशे से कम्प्यूटर इंजीनियर अतुल को गंगा पद यात्रा के लिए अवसाद पीडित पत्नी की असमय मृत्यु ने प्रेरित किया। गंगा पदयात्रा में अतुल ने गंगा जल के वैज्ञानिक परीक्षण के साथ ही अवसाद ग्रस्त लोगों की पीड़ा दूर करने का भी संकल्प किया है। शुक्रवार को अलकनंदा-भागीरथी संगम देवप्रयाग पहुंचने पर अतुल ने इसको मानसिक शांति देने वाला आध्यात्मिक स्थान बताया। कहा कि फरवरी 2020 में पर्यावरण विज्ञानी निकिता और वह विवाह बंधन में बंधे थे। विवाह के तीन माह बाद 13 जून को पत्नी ने आत्महत्या कर ली। अतुल के अनुसार पत्नी की मौत के आघात से उबरने के लिए उन्होंने 6 नवम्बर से गोमुख से गंगा सागर तक की तीन हजार किमी. की पद यात्रा की शुरुआत की, जिसे 100दिन में पूरा करने का उनका संकल्प है। देश के पांच राज्यों उत्तराखण्ड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखण्ड, बंगाल से होकर जहां होकर गंगा बहती है। वह अवसादग्रस्त लोगों को जीवन की महत्ता बताकर उन्हें आत्महत्या जैसा कदम उठाने से रोकेंगे। इसके लिए वह लोगों की चौपाल भी लगा रहे हैं। अतुल चौकस के अनुसार उनकी अवसाद ग्रस्त लोगों के लिए मानसिक अस्पताल बनाने की भी योजना है, इसके लिए वह धनराशि भी जुटा रहे हैं। थार मरुस्थल को पार कर चुके अतुल के अनुसार वह गंगा पद यात्रा का वृतचित्र भी बना रहे हैं। पद यात्रा के दौरान अलग-अलग स्थानों से गंगाजल के नमूने व आंकड़े लेकर अतुल इसको परीक्षण के लिए वैज्ञानिकों को सौपेंगे। इसके लिए वह करीब 150किलो का संयंत्र भी साथ लेकर चल रहे हैं। गंगा की स्वच्छ हवा व निर्मल जल को शांति देने वाला बताते उन्होंने सभी से गंगा को प्रदूषण मुक्त रखने की भी अपील की।