शांतिकुंज स्वर्ण जयंती वर्ष के कार्यक्रमों के अंतर्गत चलाया गया पाँच दिवसीय जनसंपर्क अभियान प्रशिक्षण शिविर का आज समापन हुआ। इस शिविर में शांतिकुंज साधकों एवं विभिन्न राज्यों के चयनित प्रतिभागियों ने भाग लिया।
समापन संगोष्ठी को संबोधित करते हुए अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख श्रद्धेय डॉ. प्रणव पण्ड्या जी ने कहा कि सद्बुद्धि प्रदात्री माता गायत्री की आराधना से साधकों का विचार परिष्कृत होता है और परिष्कृत विचार से ही रचनात्मक एवं सुधारात्मक कार्य किये जा सकते हैं। इस दिशा में समाज में ज्यादा से ज्यादा लोग निःस्वार्थ भाव से कार्य करेंगे, तो समाज विकास के पथ पर अग्रसर होगा। उन्होंने कहा कि किसी भी अभियान को सफलता तक पहुँचाने में जनसंपर्क का महत्त्वपूर्ण भूमिका होता है। हमारे कार्यकर्त्ता गाँव-गाँव, घर-घर जनसंपर्क कर गायत्री उपासना के लिए प्रेरित करेंगे। साथ ही देवस्थापना सहित विभिन्न रचनात्मक कार्यक्रमों को गति देने पर कार्य करेंगे। संस्था की अधिष्ठात्री श्रद्धेया शैलदीदी ने कहा कि परिजनों के दुःख दर्द में भागीदारी करते हुए टोली कार्य करेगी। उनमें भाव संवेदना जागरण के साथ जरूरतमंदों की सेवा के लिए भी प्रेरित करेगी। गायत्री परिवार के संस्थापकद्वय युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य एवं माता भगवती देवी शर्मा के जीवन निर्माण पर आधारित सूत्रों को जन-जन तक पहुंचायेगी।
कार्यक्रम विभाग समन्वयक श्री श्याम बिहारी दुबे ने बताया कि शांतिकुंज स्वर्ण जयंती वर्ष के कार्यक्रमों के अंतर्गत जनसंपर्क अभियान चलाया जा रहा है। इस हेतु गायत्री परिवार के मुख्यालय से तीस टोलियाँ मप्र, उप्र, गुजरात, हरियाणा, छत्तीसगढ़, पूर्वाेत्तर एवं दक्षिण भारत सहित कुल पन्द्रह राज्यों में आगामी तीन माह तक कार्य करेगी। श्री दुबे ने बताया कि पांच दिन तक चले इस प्रशिक्षण शिविर में कुल तेरह सत्र हुए, जिसमें विषय विशेषज्ञों ने व्यावहारिक एवं सैद्धांतिक पक्षों को विस्तार से बताया। प्रो. विश्वप्रकाश त्रिपाठी, श्री वीरेन्द्र तिवारी, श्री परमानन्द द्विवेदी, श्री बालरूप शर्मा आदि के नेतृत्व में टोली रवाना हुई।