कैबिनेट मंत्री डॉ. हरक सिंह रावत की नाराजगी भले ही कोटद्वार मेडिकल कॉलेज को लेकर सामने आई हो। लेकिन राजनीतिक जानकारों का कहना है कि उनका निशाना कहीं और है। माना जा रहा है कि वे अपने लिए सुरक्षित सीट के साथ ही बहू अनुकृति गुसाईं के लिए भी लैंसडौन से टिकट के लिए दबाव बना रहे हैं। दरअसल, डॉ. हरक सिंह रावत का दबाव की राजनीति का पुराना इतिहास है। पहले भी कई ऐसे मौके आए जब वह अपनी बात मनवाने के लिए प्रेशर पॉलिटिक्स का सहारा लेते रहे हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि इस बार भी हरक प्रेशर पॉलिटिक्स के तहत अपनी मांगों को मनवाने के लिए दबाव बना रहे हैं। इसीलिए माना जा रहा है कि भले ही डॉ. हरक सिंह रावत ने कोटद्वार मेडिकल कॉलेज को बजट न मिलने का मुद्दा बनाया हो लेकिन सही मायने में उनका निशाना कहीं और है।
भाजपा सूत्रों ने बताया कि हरक सिंह इस बार अपने लिए सुरक्षित सीट के रूप में डोईवाला से टिकट मांग रहे हैं। यही नहीं अपनी बहू अनुकृति गुर्साइं के लिए भी वह लैंसडौन से टिकट मांग रहे हैं। ऐसे में टिकट वितरण से ठीक पहले उन्होंने दबाव की राजनीति का रास्ता चुना है। पार्टी के जानकारों का कहना है कि नाराजगी के बाद से पार्टी नेताओं के साथ हरक की चर्चाओं में भी यह विषय शामिल रहे हैं। ऐसे में उनकी नाराजगी को टिकट से जोड़कर भी देखा जा रहा है। इस बारे में पहले से भी चर्चाएं चल रही थी। लैंसडौन से उनकी बहू के टिकट को लेकर भी पहले से चर्चाएं चल रही हैं।