अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद अध्यक्ष की कुर्सी के लिए मचे घमासान ने सोमवार को इतिहास बना दिया। कुर्सी एक और अध्यक्ष दो बन गए हैं। आठ साल पहले भी परिषद में दो फाड़ हुए, लेकिन दोनों ही अध्यक्ष हरिद्वार के नहीं थे। इस बार दोनों गुटों के अध्यक्ष हरिद्वार के बने हैं। इससे संत समाज ही नहीं, बल्कि नेता एवं सरकारें भी असमंजस में फंस गए हैं।
अखाड़ा परिषद संतों की सर्वोच्च संस्था है। नेता हो या अभिनेता संतों के दर्शन और आशीर्वाद के लिए अखाड़ों में लाइन लगती है, लेकिन संतों में कुर्सी की आपसी खींचतान से स्थानीय विधायक से लेकर सरकार के मंत्रियों ने खुद को अलग रखा है।