उत्तराखंड में सरकारें बिना काम के भी करोड़ों खर्च कर देती हैं. यह बात सुनने में जरूर अजीब लग रही होगी, लेकिन लोकायुक्त कार्यालय के मामले में ये बात बिल्कुल सच है. खुद सरकारी दस्तावेज और आंकड़े भी इस तस्दीक कर रहे हैं. आपको जानकर हैरानी होगी कि जिस राज्य में सालों से लोकायुक्त ही नहीं वहां एक साल में 2 करोड़ से ज्यादा का खर्चा लोकायुक्त कार्यालय पर हो रहा है. ऐसा क्यों हैं? उत्तराखंड में सरकारें यूं तो आम आदमी को मूलभूत सुविधाएं देने के लिए अक्सर बजट का रोना रोती हैं, लेकिन फिजूलखर्ची पर कैसे सरकारों का रवैया बदल जाता है, इसका सबसे बड़ा उदाहरण उत्तराखंड का लोकायुक्त कार्यालय है. उत्तराखंड लोकायुक्त कार्यालय में बिना काम के ही एक साल में दो करोड़ से ज्यादा की रकम खर्च कर दी जाती है. इस खर्चे का राज्य को क्या लाभ हुआ, इसका हिसाब भी नहीं है. चौंकाने वाली बात यह है की यह बात सिर्फ एक साल की नहीं बल्कि पिछले कई सालों से करोड़ों खर्च का यह सिलसिला जारी है. सरकार और नौकरशाह यह सब देख कर भी आंखें मूंदे हुए हैं.