वॉशिंगटन: कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने गुरुवार को वॉशिंगटन डीसी के नेशनल प्रेस क्लब में मीडिया के सवालों के जवाब दिए। इस दौरान उन्होंने केरल में इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (UML) से गठबंधन को लेकर कहा कि मुस्लिम लीग पूरी तरह से सेक्युलर पार्टी है। विपक्ष एकजुट हो रहा है और हम सभी विपक्षी पार्टियों से बात कर रहे हैं। इस संबंध में काफी अच्छा काम हो रहा है।
राहुल गांधी ने कहा कि कई जगह ऐसी हैं, जहां हम विपक्ष के साथ मुकाबला कर रहे हैं। ऐसे में हमें
कई मुद्दों पर एक राय बनानी होगी, लेकिन मुझे विश्वास है कि हम चुनाव में साथ जरूर आएंगे। वहीं, सांसदी जाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि मुझे सन् 1947 के बाद मानहानि
के मामले में सबसे बड़ी सजा मिली है। संसद में मैंने अडाणी को लेकर स्पीच दी थी, जिस वजह से मुझे
डिस्क्वालिफाई कर दिया गया।
भाजपा ने राहुल के बयान पर किया
पलटवार
वहीं, भारतीय जनता पार्टी
ने मुस्लिम लीग को लेकर राहुल के बयान पर पलटवार किया है। बीजेपी नेता अमित मालवीय ने कहा कि जिन्ना की मुस्लिम
लीग पार्टी धार्मिक आधार पर भारत के बंटवारे के लिए जिम्मेदार थी। ये पार्टी राहुल
गांधी के मुताबिक सेक्युलर पार्टी है। वायनाड में अपनी स्वीकार्यता बनाए रखने के
लिए ऐसा कहना उनकी मजबूरी है।
राहुल बोले- भारतीय तंत्र को कमजोर किया गया
वहीं, राहुल गांधी ने अपने
बयान में कहा कि भारतीय तंत्र और व्यवस्थाएं बहुत मजबूत हैं, लेकिन इस सिस्टम
को कमजोर कर दिया गया है। अगर लोकतांत्रिक तरीके से बातचीत की जाए तो सारे मसले खुद
सुलझ जाएंगे। कांग्रेस पार्टी ने संस्थानों की अवधारणा की। उन्हें हम अपनी संस्था
के रूप में नहीं देखते हैं। हम उन्हें राज्य की संस्था के रूप में देखते हैं और हमने
सुनिश्चित किया कि इन संस्थाओं में स्वतंत्रता और तटस्थता रहे।
भारत में प्रेस की स्वतंत्रता कमजोर हो रही
कांग्रेस नेता ने कहा कि भारत में प्रेस की स्वतंत्रता
कमजोर होती जा रही है और यह बात सभी जानते हैं। मुझे लगता है कि लोकतंत्र के लिए
प्रेस की आजादी और आलोचना को सुनना जरूरी है। मैं जो भी सुनता हूं, उस पर विश्वास नहीं करता। मैं पूरे भारत में घूमा हूं। कन्याकुमारी
से कश्मीर तक घूमा हूं। लाखों भारतीयों से सीधे बात की है। वो लोग मुझे खुश नहीं
लगे और वो बेरोजगारी, महंगाई से बहुत परेशान हैं। लोगों में गुस्सा था। देश में बढ़ती
महंगाई और रिकॉर्ड बेरोजगारी के चलते अमीरों और गरीबों के बीच की खाई बढ़ती जा रही
है। ऐसे में अर्थव्यवस्था को लेकर प्रधानमंत्री
मोदी के दावों पर
भरोसा करना मुश्किल लगता है।
इसके अलावा उन्होंने कहा कि मेरे ख्याल से सभी भारतीयों के पास धार्मिक
स्वतंत्रता होनी चाहिए। सभी भारतीय समुदायों के पास अभिव्यक्ति की आजादी होनी
चाहिए। मैं लोगों के धर्म और जाति के आधार पर उनमें भेद नहीं करता। मैं बचपन से
गांधीवादी सोच के साथ बड़ा हुआ हूं कि भारत क्या है और इसे कैसा होना चाहिए। मैं
जान से मारने की धमकियों से नहीं डरता। आखिर सबको एक दिन मरना है। ये मैंने अपनी
दादी और अपने पिता से सीखा है। ऐसी धमकियों से डरकर आप रुक नहीं जाते।