विश्व हिंदू परिषद का कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण हेतु प्रतिवर्ष होने वाला परिषद प्रशिक्षण वर्ग इस वर्ष कोरोना महामारी के कारण प्रशिक्षण वर्ग वर्चुअल बैठक के माध्यम से 26 से 30 मई 2021 तक आभासी रूप में आयोजित जा रहा है। प्रशिक्षण वर्ग प्रारंभ में आचार पद्वति एवं एकल गीत के पश्चात विश्व हिन्दू परिषद के अन्तर्राष्ट्रीय महामंत्री संगठन मिलिंद पंराड़े नें वर्ग पालक प्रदीप मिश्र प्रांत उपाध्यक्ष, प्रांत मंत्री डा. विपिन पाण्डेय, प्रांत सह संगठन मंत्री अजय जी, बौद्विक प्रमुख रनदीप पोखरिया प्रांत सहमंत्री की गरिमामयी उपस्थिति में उद्घाटन सत्र का शुभारंभ किया। परिषद प्रशिक्षण वर्ग प्रतिदिन दो सत्रों बौद्धिक सत्र एवं चर्चा सत्र के रूप में संपन्न होगा।
उद्घाटन सत्र में कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मिलिंद पंराड़े ने बताया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तत्कालीन सरसंघचालक श्री गुरुजी संसार के भिन्न भिन्न देशों में रह रहे हिन्दुओं का अपने धर्म और दर्शन से जीवन्त रिश्ता कैसे बना रह सकता है, के विषय में बेहद चिंतित थे। विदेशों में निवास करने वाले हिन्दू किस तरह अपनी परम्पराओं व धार्मिक, सांस्कृतिक जड़ों से कट रहें है। विदेशों में सैकड़ों वर्षों से बसे हुए हिन्दुओं का अपनी मातृभूमि भारत से सम्बन्ध टूट रहा है, हिन्दू संस्कार धीरे धीरे लुप्त हो रहे हैं, क्योंकि संस्कार सम्पन्न कराने वाले ब्राह्मण विदेशों में उपलब्ध नहीं हैं, यदि संस्कार पूर्णतः नष्ट हो गये, तो समाज निर्जीव ढ़ांचा मात्र रह जायेगा।
हिन्दुओं के धर्मान्तरण की गम्भीर चुनौती उनके सामने थी। हिन्दू के अस्तित्व पर होने वाले प्रहारों का जवाब कैसे दिया जाए, ये विकट चिंतन का विषय था। उसी समय स्वामी चिन्मयानन्द के मन में भी हिन्दुओं के लिए एक विश्वव्यापी संगठन का विचार पल रहा था, उन्होंने एक वैश्विक हिन्दू सम्मेलन की आवश्यकता प्रतिपादित की थी। त्रिनिदाद के एक सांसद डॉ. शम्भूनाथ कपिल देव अपने देश में हिन्दुओं में संस्कारों के लुप्त होने से दुःखी थे, उनकी भारत मे श्री गुरुजी से भेंट हुई, इसी भेंट में विश्व हिन्दू परिषद का बीज पड़ गया।