रुद्रप्रयाग। पहाड़ के कस्बों व गांवों में तमाम दावों के बाद भी सुरक्षित बिजली आपूर्ति के इंतजाम नहीं हो पाए हैं। झूलते तार और बिजली के जर्जर पोल खतरा बने हैं। बंच केबल डालने की योजना शहरों से आगे नहीं बढ़ पाई। रुद्रप्रयाग जिले में बीते पांच साल में करंट से तीन लोगों की मौत हो चुकी है। कई लोग घायल हुए हैं। करंट लगने से कई मवेशी भी जान गंवा चुके हैं।जिला मुख्यालय रुद्रप्रयाग, तिलवाड़ा, अगस्त्यमुनि, ऊखीमठ, गुप्तकाशी, मयाली, जखोली सहित अन्य नगर व कस्बों के साथ ही जनपद के सभी गांवों में बिजली व्यवस्था खास नहीं है। बाजारों में बिजली के तारों का जाल और घरों के नजदीक से गुजरती बिजली लाइनें कभी भी किसी की जिंदगी पर भारी पड़ सकती हैं। बच्छणस्यूं, रानीगढ़, भरदार, केदारघाटी सहित कई गांवों में तो बिजली लाइनों की ऊंचाई बमुश्किल 15 से 20 फीट तक ही है। कई पोल जर्जर हो चुके हैं। जंक से खराब हो चुके पोल कभी भी बड़ी दुर्घटना का कारण बन सकते हैं।कई सरकारी विभागीय कार्यालय जो पुराने भवनों पर संचालित हो रहे हैं, वहां भी बिजली की लाइनें बहुत जर्जर हैं। तहसील दिवस, जनता दरबार, बहुद्देशीय शिविरों में बिजली से जुड़ी शिकायतें हमेशा होती हैं। लेकिन इन पर कार्रवाई नहीं होती। इन हालातों में गांवों व कस्बों में 11 व 33 केवी की बिजली लाइन संचालित हो रही हैं, जिनका करंट पलभर में आदमी की जान लेने के लिए काफी है। बीते वर्ष रुद्रप्रयाग-गौरीकुंड पैदल मार्ग पर दो घोड़ा-खच्चरों की करंट की चपेट में आने से मौत हो गई थी। वहीं, इसी वर्ष के शुरू में दुर्गाधार में एक व्यक्ति की 11केवी विद्युत लाइन की चपेट में आने से मौत हो गई थी। वहीं, दो माह पूर्व गुप्तकाशी में भी एक युवक की करंट से मौत हुई थी।