जुलाई महीने के एक मंगलवार की सुबह भारतीय मैनेजमेंट संस्थान यानी IIM इंदौर के डायरेक्टर हिमांशु राय कैंपस लॉन में नए स्टूडेंट्स की क्लास लेने आए। जब वो पढ़ा रहे थे तब स्टूडेंट्स को पक्षियों के चहचहाने की आवाज भी सुनाई दे रही थी। इतने बड़े संस्थान में बच्चों को क्लासरूम के बजाए लॉन में पढ़ाने का आइडिया बिना वजह नहीं था। बल्कि इसके पीछे एक सोची-समझी नीति थी। वो मैनेजमेंट और बिजनेस स्कूलों में शुरू हुए एक नए ट्रेंड को बड़ी आसानी से समझा रहे थे।
डायरेक्टर ने स्टूडेंट्स को बताया कि ये क्लास बैलेंस शीट मैनेजमेंट या प्रॉफिट ऑप्टिमाइजेशन के बारे में नहीं है। ये क्लास आज के जमाने के मैनेजर्स तैयार करने के लिए है। आज कंपनियों को ऐसे मैनेजर्स चाहिए जो उनके यहां इन्वायरनमेंट, सोशल और गवर्नेंस यानी ESG के पैमाने टॉप पर रखें।
सेबी अगले साल से ESG की रेटिंग लिस्टेड कंपनियों के लिए अनिवार्य करने जा रही है। इसके लागू होते ही कंपनियों को वेस्ट मैनेजमेंट, प्रदूषण को रोकने के लिए क्या किया, पर्यावरण को बचाने के लिए क्या किया, समाज के लिए क्या किया, इन सब के जवाब लिखित में देने होंगे।
उदाहरण के लिए फूड डिलीवरी फर्म जोमैटो ने कहा कि वह अपने पूरे डिलीवरी सिस्टम को 2030 तक इलेक्ट्रिक कर देगा। इससे यह बिजनेस इन्वायरनमेंट फ्रेंडली हो जाएगा।
IIM इंदौर के डायरेक्टर हिमांशु राय का कहना है कि ट्रेडिशनल MBA कोर्सेज के सिलेबस में इन्वायरनमेंट, कॉर्पोरेट गर्वनेंस और सोशल स्टडी अनिवार्य कर दिए गए हैं। संस्थान ऐसा कोर्स चला रहे है, जिनमें बच्चों को कम से कम 7 से 15 दिन के लिए गांव में भेजा जाता है। ताकि वो वहां की सामाजिक चुनौतियों को समझ लें।
XLRI जमशेदपुर के असिस्टेंट प्रोफेसर टाटा एल रघु राम ने कहा कि बी-स्कूल्स में 5 से ज्यादा ऐसे सर्टिफिकेट कोर्स शुरू किए हैं। साथ ही कैंपस में वो खुद भी हरियाली बनाने की कोशिश कर रहे हैं। दरअसल, इन दिनों कई कंपनियां या संस्थान नॉन फाइनेंशियल फैक्टर्स के कारण नुकसान सह रहे हैं।
WEF ने दुनिया की 200 से अधिक सबसे बड़ी फर्मों पर स्टडी की। इसके आधार पर कहा कि जलवायु परिवर्तन के कारण आने वाले समय में ये कंपनियां इससे निपटने के लिए 1 ट्रिलियन डॉलर खर्च करेंगी।
इसमें आईटी कंपनियों और वित्तीय फर्मों के ESG स्कोर ज्यादा थे। इनके यहां कम एमिशन, वेस्ट प्रोडक्शन और कम पानी का उपयोग होता है। इसके उलट तेल और गैस, केमिकल, मेटल और खनन और सीमेंट कंपनी का ESG स्कोर कम था। इनके एमिशन का लेवल बहुत ज्यादा होता है।
रेटिंग एजेंसी क्रिसिल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी आशु सुयश ने कहा कि ESG पहले से ही सरकारों, रेगुलेटरों, इन्वेस्टर्स, फाइनेंसर्स और कॉर्पोरेट्स के फैसलों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। अब ये इन्वेस्टमेंट मैनेजमेंट इंडस्ट्री को बदल देगा।