रुद्रपुर/गदरपुर/किच्छा/बाजपुर। 12 सूत्री मांगों के लिए आशा कार्यकर्ताओं का कार्य बहिष्कार शुक्रवार को पांचवें दिन भी जारी रही। संगठन पदाधिकारियों ने कहा कि बेगार यानी मूल्य चुकाए बिना श्रम कराने के विरोध के लिए आशा आंदोलन और अधिक उग्र किया जाएगा।
रुद्रपुर जिला अस्पताल में आशा कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए उत्तराखंड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन के प्रदेश महामंत्री डॉ. कैलाश पांडेय ने कहा कि प्रदेश की साढ़े 13 हजार आशा कार्यकर्ताओं ने कोरोना महामारी के दौरान फ्रंट लाइन वर्कर की भूमिका निभाई। इसके बावजूद सरकार उन्हें 21 हजार रुपये वेतन व राजकीय कर्मचारी का दर्जा देने से कतरा रही है। आशा कार्यकर्ताओं को नाममात्र का मानदेय देकर उनसे एक तरफ बेगार करवाया जा रहा है। आरोप लगाया कि भारतीय मजदूर संघ का आशा आंदोलन के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है। ये बेहद शर्मनाक है।