हिंदी पंचांग का आठवां महीना कार्तिक तीज-त्योहार के लिहाज से बहुत खास है। इस महीने में पुष्य नक्षत्र, धनतेरस, दीपावली, गोवर्धन पूजा, भाई दूज, छठ पूजा, देवउठनी एकादशी जैसे बड़े तीज-त्योहार रहते हैं। ये माह 8 नवंबर तक रहेगा। कार्तिक मास में गणेश जी, विष्णु-लक्ष्मी, धनवंतरि, गोवर्धन पर्वत, छठ माता, सूर्य देव के साथ ही कार्तिकेय स्वामी की भी पूजा जरूर करनी चाहिए। धर्माचार्यों के अनुसार कार्तिक मास में रोज सुबह जल्दी उठना चाहिए। इन दिनों में नदी स्नान की परंपरा है। काफी लोग नदी में दीपदान भी करते हैं। कार्तिक महीने का नाम कार्तिकेय स्वामी के नाम पर पड़ा है।
इस तरह पड़ा इस माह का नाम कार्तिक
पौराणिक कथा के अनुसार तारकासुर नाम का एक असुर था। उसने तपस्या से वरदान प्राप्त कर लिया था कि उसका वध शिव जी के पुत्र द्वारा ही होगा। दरअसल उस समय देवी सती ने अपने पिता दक्ष के यहां हवन कुंड में कूदकर देह त्याग दी थी और शिव जी सती के वियोग में थे। तारकासुर ने इस बात का लाभ उठाकर ऐसा वर ब्रह्मा जी से मांगा था। वर पाकर तारकासुर ने देवताओं, ऋषि-मुनियों और सभी इंसानों को परेशान करना शुरू कर दिया था। उस समय भगवान विष्णु और अन्य देवताओं ने शिव जी से फिर से विवाह करने की प्रार्थना की थी। उस दिनों देवी पार्वती शिव जी को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या कर रही थीं। शिव जी देवी पार्वती के कठोर तप से प्रसन्न हुए और उनसे विवाह किया। शिव-पार्वती के विवाह के बाद कार्तिकेय स्वामी का जन्म हुआ। बाद में कार्तिकेय स्वामी ने जन्म के कुछ समय बाद ही तारकासुर का वध कर दिया था। उस समय हिन्दी पंचांग का आठवां माह चल रहा था। तारकासुर का वध करने के बाद शिव-पार्वती कार्तिकेय स्वामी से बहुत प्रसन्न थे। शिव जी ने प्रसन्न होकर आठवें माह को कार्तिक नाम दिया था। कार्तिक माह में कार्तिकेय स्वामी की पूजा खासतौर पर करनी चाहिए। माह में किए गए पूजा-पाठ से अक्षय पुण्य मिलता है।
कार्तिक माह में रोज करें ये शुभ काम
रोज सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को जल चढ़ाएं। घर के मंदिर में इष्टदेव के मंत्रों का जप करें। जप करते हुए ध्यान करें। कार्तिक मास में जरूरतमंद लोगों को धन, अनाज, कपड़े, ऊनी कपड़े का दान करें। किसी गौशाला में गायों की देखभाल करें। गायों के लिए धन का दान करें।