गंगा दशहरा का पर्व सनातन परंपरा में अपना अलग महत्व रखता है. मान्यता है कि इसी दिन माता गंगा स्वर्ग से धरती पर आई थीं. गंगा पतित पावनी हैं. उसमें स्नान कर लेने मात्र से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं. यही वजह है कि गंगा हिंदू धर्म में महज एक नदी नहीं है, बल्कि लोगों की आस्था का प्रतीक चिह्न है.
पितरों की मुक्ति के लिए उपाय गंगा माता का अवतरण मृत आत्माओं की मुक्ति के लिए हुआ था. राजा भगीरथ अपने पूर्वजों-पितरों को मुक्ति देने के लिए ही गंगा को स्वर्ग से जमीन पर ले आए थे. गंगा दशहरा के मौके पर गंगा स्नान कर पितरों का तर्पण करें. ब्राह्मणों को भोजन कराएं.
नौकरी में सफलता के लिए अगर आप नौकरी में सफलता पाना चाहते हैं तो गंगा दशहरा आपके लिए बहुत अच्छा अवसर लेकर आया है. गंगा दशहरा के दिन मटके में अन्न भरकर और गंगाजल छिड़क कर शिवमंदिर में दान करें. इससे आपके कार्यक्षेत्र में सफलता के योग बनते हैं.
परेशानी से मुक्ति के लिए गंगा नदी में दीपदान भी किया जाता है. अगर जीवन में कोई परेशानी है और इससे मुक्त होने का कोई मार्ग नहीं मिल रहा है तो गंगा दशहरा के दिन शाम को गंगा स्नान कर गायत्री मंत्र जप कर परेशानी दूर करने का संकल्प कर दीपक पानी में छोड़ें. इससे आपको जरूर लाभ होगा.
मनोकामना पूर्ति के लिए कोई मनोकामना हो तो उसकी पूर्ति के लिए गंगादशहरा के दिन गंगाजल से स्नान करें. पार्थिव शिवलिंग का निर्माण कर पूजन करिए. रूद्री का पाठ कर शिवलिंग पर दूध चढ़ाएं.