भगवान श्रीकृष्ण की भक्ति का सर्वोत्तम मास कार्तिक सोमवार से प्रारंभ हो गया है। पंचांगीय गणना के अनुसार इस बार कार्तिक मास में छह सर्वार्थसिद्धि व एक अमृतसिद्धि योग का संयोग बन रहा है। एक माह में पांच सोमवार व पांच मंगलवार की साक्षी भी शुभ मानी जा रही है। इस पुण्य मास में तुलसी एवं शालिग्राम का पूजन तथा यम के निमित्त दीपदान करने से क्रमशः सुख-समृद्धि तथा अज्ञात भय से मुक्ति मिलती है।
जन्म-जन्मांतर के पापों का होता है नाश
ज्योतिषाचार्यों के अनुसार कार्तिक मास में विशेष योग तथा वारों का संयोग बन रहा है। इस माह में आने वाले व्रत त्योहार भी विशिष्ट योग नक्षत्र की साक्षी में आ रहे हैं। ग्रह, योग, नक्षत्र की श्रेष्ठ स्थिति ने इस पुण्य पवित्र मास की शुभता को ओर बढ़ा दिया है। धर्मशास्त्रीय मान्यता के अनुसार कार्तिक मास में तीर्थ स्नान, तुलसी शालिग्राम का पूजन तथा भजन कीर्तन करने से जन्म-जन्मांतर के पापों का नाश होता है तथा परिवार में सुख समृद्धि आती है। यही नहीं इस माह में सूर्यास्त के पश्चात घर की छत पर दक्षिण दिशा की ओर मुख करके तिल्ली के तेल का दीपक लगाने से अज्ञात भय का नाश होता है तथा परिवार के सदस्यों की दीर्घायु होती है। यह भी मान्यता है कि घर की छत पर आठ पंखुड़ियों का कमल बनाकर उसके मध्य में तिल के तेल का दीपक प्रज्वलित कर लक्ष्मी, इंद्र, यम, कुबेर के निमित्त ध्यान लगाकर समृद्धि, ऐश्वर्य, प्रगति तथा धार्मिक उन्नति की प्रार्थना करने से अनुकूलता प्राप्त होती है। धर्माचार्यों के अनुसार जिस प्रकार शिव की भक्ति के लिए श्रावण मास विशेष है। उसी प्रकार भगवान श्री कृष्ण की भक्ति के लिए कार्तिक मास सर्वश्रेष्ठ बताया गया है। इस पुण्य पवित्र मास में संध्या काल में दामोदर अष्टक का पाठ तथा दीपदान करने का विशेष महत्व है।