पाटी (चंपावत)। भले ही 2020 से कोरोना की वजह से मां बाराही धाम में बगवाल सिर्फ प्रतीकात्मक हुई, लेकिन यह मेला लगातार विस्तार पा रहा है। इसकी ख्याति समूचे उत्तर भारत में है। मेले के आकार में बढ़ोतरी होने से इसका आयोजन कराना जिला पंचायत के लिए चुनौती बनता जा रहा है। बगवाल मेले को अब तक राजकीय मेले का दर्जा नहीं दिलाया जा सका है। राजकीय मेला घोषित होने के बाद इसमें होने वाले खर्च को सरकार उठाएगी। देवीधुरा का बगवाल मेला लंबे समय से सरकारी मदद के बगैर ही हो रहा है। आमतौर पर दो सप्ताह तक चलने वाले बगवाल मेले के आयोजन में लाखों रुपये खर्च होते हैं, लेकिन 2009 से एक भी रुपये का अनुदान नहीं मिला है और ना ही यहां किसी टैक्स से आय हुई है। 2015 से मेले में जिला पंचायत ने किसी तरह का कर भी नहीं लगाया है, जबकि बिजली व्यवस्था, सफाई, अस्थायी निर्माण से लेकर सांस्कृतिक कार्यक्रमों तक में मोटी रकम खर्च होती है।