किसन बाबूराव हजारे (जन्म : १५ जून १९३७) एक भारतीय समाजसेवी हैं। आइए जानते हैं उनके बारे में कुछ रोचक तथ्य
-अधिकांश लोग उन्हें अण्णा हजारे के नाम से जानते हैं। सन् १९९२ में भारत सरकार द्वारा उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित किया गया था। सूचना के अधिकार के लिये कार्य करने वालों में वे प्रमुख थे।[कृपया उद्धरण जोड़ें] जन लोकपाल विधेयक को पारित कराने के लिये अण्णा ने १६ अगस्त २०११ से आमरण अनशन आरम्भ किया था।
-अन्ना हजारे का जन्म १५ जून १९३७ को महाराष्ट्र के अहमदनगर के रालेगन सिद्धि गाँव के एक मराठा किसान परिवार में हुआ था। उनके पिता का नाम बाबूराव हजारे और माँ का नाम लक्ष्मीबाई हजारे था।
-वर्ष १९६२ में भारत-चीन युद्ध के बाद सरकार की युवाओं से सेना में शामिल होने की अपील पर अन्ना १९६३ में सेना की मराठा रेजीमेंट में ड्राइवर के रूप में भर्ती हो गए। अन्ना की पहली नियुक्ति पंजाब में हुई। १९६५ में भारत-पाकिस्तान युद्ध के दौरान अन्ना हजारे खेमकरण सीमा पर नियुक्त थे।
-१९६५ के युद्ध में मौत से साक्षात्कार के बाद नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर उन्होंने स्वामी विवेकानंद की एक पुस्तक 'कॉल टु दि यूथ फॉर नेशन' खरीदी। इसे पढ़कर उनके मन में भी अपना जीवन समाज को समर्पित करने की इच्छा बलवती हो गई। उन्होंने महात्मा गांधी और विनोबा भावे की पुस्तकें भी पढ़ीं। १९७० में उन्होंने आजीवन अविवाहित रहकर स्वयं को सामाजिक कार्यों के लिए पूर्णतः समर्पित कर देने का संकल्प कर लिया।
-अन्ना हजारे पद्मभूषण पुरस्कार (१९९२),
पद्मश्री पुरस्कार (१९९०),
इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र पुरस्कार (१९८६),
महाराष्ट्र सरकार का कृषि भूषण पुरस्कार (१९८९),
यंग इंडिया पुरस्कार,
मैन ऑफ़ द ईयर अवार्ड (१९८८),
पॉल मित्तल नेशनल अवार्ड (२०००),
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल इंटेग्रीटि अवार्ड (२००३),
विवेकानंद सेवा पुरुस्कार (१९९६),
शिरोमणि अवार्ड (१९९७),
महावीर पुरस्कार (१९९७),
दिवालीबेन मेहता अवार्ड (१९९९),
केयर इन्टरनेशनल (१९९८),
बासवश्री प्रशस्ति (२०००),
GIANTS INTERNATIONAL AWARD (२०००),
नेशनलइंटरग्रेसन अवार्ड (१९९९),
विश्व-वात्सल्य एवं संतबल पुरस्कार,
जनसेवा अवार्ड (१९९९),
रोटरी इन्टरनेशनल मनव सेवा पुरस्कार (१९९८),
विश्व बैंक का 'जित गिल स्मारक पुरस्कार' (२००८) जैसे सम्मान से नवाज़े जा चुके हैं.