उत्तरकाशी-रवाईं को अलग जनपद बनाने की मांग एक बार फिर जोर पकड़ने लगी है। वर्ष 2010 में सीएम की घोषणा के बाद भी अभी तक इस दिशा में कोई कार्रवाई नहीं होने से क्षेत्र की जनता में रोष है। रविवार को हुई सर्वदलीय बैठक में आगामी 1 अप्रैल से तहसील प्रांगण में धरना आंदोलन शुरू करने का निर्णय लिया गया। रविवार को पुरोला में हुई सर्वदलीय बैठक में अलग रवाईं जनपद के गठन पर चर्चा की गई। हिमाचल प्रदेश की सीमा से लगे मोरी क्षेत्र के ग्रामीणों को जिला मुख्यालय तक पहुंचने में दो दिन का समय लगता है। ऐसे में इन क्षेत्रों का विकास प्रभावित हो रहा है। वर्ष 1960 में टिहरी से अलग उत्तरकाशी जनपद का गठन होने के बाद से ही रवाईं क्षेत्र की जनता अलग जनपद की मांग कर रही है। उत्तराखंड राज्य गठन के बाद भी रवाईं जिले की मांग को लेकर कई बार आंदोलन किए गए। वर्ष 2010 में तत्कालीन सीएम रमेश पोखरियाल निशंक ने यमुनोत्री सहित प्रदेश में चार नए जिलों की घोषणा की थी, लेकिन यह भी दस सालों से ठंडे बस्ते में है। इस मौके पर प्रकाश डबराल, हरीश लाल, अशोक सिंह, धर्मेंद्र सिंह, नीरज राणा, मोती सिंह, प्रेमलाल, सचिन रावत, अजय भंडारी, गुरुदेव आदि मौजूद रहे।