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DevBhoomi Insider Desk
• Wed, 16 Nov 2022 9:30 am IST


काल भैरव को भोग में अर्पित की जाती है मदिरा, जानें इस परंपरा के पीछे का रहस्य और मनोवैज्ञानिक भाव


मार्गशीर्ष मास चल रहा है। कृष्ण पक्ष की अष्टमी का कालभैरव अष्टमी  का पर्व मनाया जाता है। आज बुधवार को कालभैरव अष्टमी है। शिवपुराण के अनुसार, भगवान शिव के क्रूर रूप को भगवान काल भैरव के नाम से जाना जाता है। शिव महापुराण के अनुसार जब भगवान महेश, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा अपनी श्रेष्ठता और पराक्रम के बारे में चर्चा कर रहे थे, तो भगवान शिव भगवान ब्रह्मा द्वारा कहे गए झूठ के कारण क्रोधित हो गए। इसके परिणाम के रूप में, भगवान कालभैरव ने क्रोध में भगवान ब्रह्मा के पांचवे सिर को काट दिया। इसलिए इसी तिथि पर शिवजी के क्रोध से कालभैरव अष्टमी का पर्व मनाया जाता है। वैसे तो भगवान कालभैरव को किसी भी चीज का भोग लगा सकते हैं, लेकिन भगवान काल भैरव का सबसे प्रिय भोग मदिरा है। आइए जानते हैं कालभैरव को मदिरा क्यों चढ़ाई जाती है। 

ये है मदिरा अर्पित करने का रहस्य 
ज्योतिषविदों के अनुसार किसी भी धर्म शास्त्र में मदिरा के भोग का उल्लेख नहीं मिलता है। इसके पीछे सिर्फ एक मनोवैज्ञानिक भाव है। दरअसल मदिरा बुराई का प्रतीक है और जब आप अपनी यह वस्तु भगवान को अर्पित कर समर्पित कर देते हैं तो इसका अर्थ है कि हम सभी प्रकार की बुराइयों से छुटकारा चाहते हैं। जिस प्रकार भगवान भोलेनाथ ने अपने भैरव रूप में ब्रह्मा जी के पांचवें सिर को काट दिया था वो सिर बुराई का प्रतीक था। कालभैरव को चढ़ाई जाने वाली अन्य तामसिक चीजों के पीछे भी यही भाव होता है। ये सभी चीजें बुराई का प्रतीक हैं। इन्हें भगवान को समर्पित कर हमें इनसे दूर हो जाना चाहिए। यही इस परंपरा का मनोवैज्ञानिक भाव है।