बागेश्वर के ऐतिहासिक उत्तरायणी मेले में स्थानीय उत्पादों की धूम रहती है. इन उत्पादों को खरीदने लोग दूर-दूर से आते हैं. वहीं मेले में दारमा, जोहार, व्यास, चौंदास, दानपुर से आए जड़ी बूटी के व्यापारियों के सामानों की जबरदस्त मांग है. पेट, सिर, घुटने आदि दर्द के लिए उच्च हिमालयी क्षेत्रों में होने वाली गंदरैणी, जम्बू, कुटकी, डोला, गोकुलमासी, ख्यकजड़ी आदि जड़ी बूटियों को अचूक इलाज माना जाता है. उत्तरायणी मेले में पिथौरागढ़ जिले के धारचूला, मुनस्यारी, जोहार, दारमा, व्यास और चौंदास आदि क्षेत्रों के व्यापारी हर साल व्यापार के लिए आते हैं. हिमालयी जड़ी-बूटी को लेकर आने वाले इन व्यापारियों का हर किसी को बेसब्री से इंतजार रहता है. हिमालय की जड़ी-बूटियां ऐसी दवाइयां हैं जो रोजमर्रा के उपयोग के साथ ही बीमारियों में दवा का भी काम करती हैं. दारमा के बोन गांव निवासी किशन सिंह बोनाल बताते हैं कि जंबू की तासीर गर्म होती है. इसे दाल में डाला जाता है