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DevBhoomi Insider Desk
• Sun, 8 Jan 2023 8:00 am IST


25 जनवरी को मनाया जाएगा मां सरस्वती की पूजा का पर्व बसंत पंचमी, जानें शुभ मुहूर्त पूजा विधि और मंत्र


हिंदू धर्म में माता सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व है। ऐसा इसलिए क्योंकि इन्हें वाणी, विद्या एवं संगीत की देवी के रूप में पूजा जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि माता सरस्वती की उपासना करने से भक्तों को ज्ञान, विद्या और कला का आशीर्वाद मिलता है। माता सरस्वती की पूजा के लिए बसंत पंचमी पर्व को सबसे उत्तम माना जाता है। पंचांग के अनुसार प्रत्येक वर्ष माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन बसंत पंचमी पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। मान्यता है कि इस माता सरस्वती की उपासना एवं शास्त्रों में बताए गए मंत्रों का उच्चारण करने से भक्तों को विशेष लाभ मिलता है। 

बसंत पंचमी तिथि 
पंचांग के अनुसार बसंत पंचमी पर्व माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि के दिन मनाई जाती है। वर्ष 2023 में माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि का प्रारंभ 25 जनवरी को सुबह 11 बजकर 04 मिनट पर होगा और तिथि का समापन 26 जनवरी को प्रातः 08 बजकर 58 मिनट पर होगा। उदया तिथि के अनुसार बसंत पंचमी पर्व 25 जनवरी, बुधवार के दिन मनाया जाएगा। पंचांग के अनुसार माता सरस्वती की पूजा का समय सुबह 11 बजकर 04 मिनट से दोपहर 12 बजकर 22 मिनट के मध्य रहेगा।

बसंत पंचमी पूजा विधि 
शास्त्रों में बताया गया है कि बसंत पंचमी के दिन भक्तों को ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान-ध्यान करना चाहिए। साथ ही पूजा के लिए साफ पीले अथवा सफेद रंग का वस्त्र धारण करना चाहिए। इसके उपरांत पूजा-स्थान पर माता सरस्वती की मूर्ति स्थापित करें और फिर गंगाजल से स्थान को शुद्ध करें। इन सबके साथ माता को पीले रंग की चुनरी जरूर अर्पित करें। पूजा के समय माता को अक्षत, श्वेत चंदन, पीले रंग की रोली, पीला गुलाल और पुष्प, धूप, दीप, गंध अर्पित करें। साथ ही पीले रंग के मिठाई का भोग चढ़ाएं। विधिवत पूजा के साथ सरस्वती वंदना का पाठ करें और अंत में आरती अवश्य करें। शास्त्रों में बताया गया है कि आरती के बिना पूजा सफल नहीं होती है। अंत में क्षमा मांगे और फिर परिवार के सदस्यों में प्रसाद बांट दें।

बसंत पंचमी मंत्र 
या कुन्देन्दुतुषारहारधवला या शुभ्रवस्त्रावृता।
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।।
या ब्रह्माच्युत शंकरप्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता।
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा।।
- शुक्लां ब्रह्मविचार सार परमामाद्यां जगद्व्यापिनीं। 
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌।
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌।।