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DevBhoomi Insider Desk
• Wed, 3 May 2023 5:00 am IST


दो शुभ योगों में बुध प्रदोष व्रत आज, जानिए शुभ मुहूर्त, महत्व और नियम


हिंदू धर्म में प्रदोष व्रत का विशेष महत्व है। बता दें कि वैशाख मास का अंतिम प्रदोष व्रत 3 मई, बुधवार यानी आज रखा जाएगा। बुधवार के दिन पड़ने के कारण इस व्रत को बुध प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाएगा। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की उपासना करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण हो जाती है और जीवन में आ रही समस्याएं दूर हो जाती है। आइए जानते हैं बुध प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त, पूजा का समय, महत्व और नियम। 

बुध प्रदोष व्रत का शुभ मुहूर्त 
हिंदू पंचांग के अनुसार, वैशाख शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि का प्रारंभ 02 मई, सोमवार की रात्रि 11 बजकर 17 मिनट पर हो चुका है और इस तिथि का समापन 03 मई, बुधवार की रात्रि 11 बजकर 49 मिनट पर होगा। ऐसे में यह व्रत 03 मई, बुधवार के दिन रखा जाएगा। पंचांग के अनुसार, प्रदोष पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 06 बजकर 57 मिनट से रात्रि 09 बजकर 06 मिनट तक रहेगा।

बन रहे दो शुभ योग 
हिंदू पंचांग के अनुसार बुध प्रदोष व्रत के दिन दो अत्यंत शुभ योग का निर्माण हो रहा है। एक सर्वार्थ सिद्धि योग और दूसरा रवि योग। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 05 बजकर 39 मिनट से रात्रि 08 बजकर 56 मिनट तक रहेगा। वहीं रवि योग रात्रि 08 बजकर 56 मिनट से अगली सुबह 05 बजकर 38 मिनट तक रहेगा। मान्यता है कि इन दोनों शुभ योग में भगवान शिव एवं देवी-देवताओं की उपासना करने से सभी दु:ख दूर हो जाते हैं और साधना सफल होती है।

बुध प्रदोष व्रत नियम 
प्रदोष व्रत के दिन साधकों को सुबह जल्दी उठना चाहिए। साथ ही स्नान-ध्यान के बाद भगवान शिव की उपासना करनी चाहिए। जो लोग व्रत का पालन करेंगे, उन्हें भोजन ग्रहण नहीं करना चाहिए। वह केवल फलाहार ग्रहण कर सकते हैं। इस दिन गुस्सा और बुरे व्यवहार से बचना चाहिए। इसके साथ मन में किसी के लिए भी बुरे विचार ना लाएं। प्रदोष व्रत के दिन ब्रह्मचर्य का पालन निश्चित रूप से करना चाहिए। प्रदोष काल में भगवान शिव की पूजा से पहले एक बार पुनः स्नान करना चाहिए और फिर विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जानी चाहिए।

प्रदोष व्रत का महत्व 
वास्तुदोष के कारण उत्पन्न परेशानियों को दूर करने के लिए इस बुध प्रदोष पर कुछ वास्तु के सरल उपाय करने से भगवान भोलेनाथ की कृपा आपके ऊपर बनी रहेगी। वास्तु दोषों से उत्पन्न अकारण भय, परेशानी आदि के निवारण के लिए तुलसीदास जी द्वारा रचित श्री रुद्राष्टकम का पाठ किया जाना सकारात्मक परिणाम देगा। घर की नकारात्मक शक्तियों को दूर करने के लिए इस दिन शिवलिंग पर अभिषेक करने के उपरान्त जलहरी के जल को घर लाकर उससे 'ॐ नमः शिवाय करालं महाकाल कालं कृपालं ॐ नमः शिवाय ' ये मंत्र जपते हुए पूरे भवन में छिड़काव करना चाहिए। यदि आपके कार्यों में बहुत अड़चन आती है या आपसी कलह, रोग आदि से परेशान हैं तो इन तकलीफों को दूर करने के लिए घर के उत्तर-पूर्व या ब्रह्म स्थान में रुद्राभिषेक करना शुभ परिणाम देगा। आर्थिक तंगी को दूर करने एवं घर की खुशहाली बनाए रखने के लिए घर की पूर्व या उत्तर-पश्चिम (वायव्य) दिशा में बिल्व का पेड़ लगाएं और उसमें नियमित रूप से जल देते रहें एवं शाम के समय इसके नीचे घी का दीपक जलाएं। बिल्व का वृक्ष स्वयं शिव का ही स्वरुप है अतः ध्यान रहे कि पेड़ के आस-पास किसी प्रकार की गंदगी नहीं रहे एवं यह सूखने न पाए। उत्तर-पूर्व दिशा ईश यानि शिवजी की दिशा मानी गई है, सकारात्मक ऊर्जा के प्रवाह में वृद्धि एवं परिवार में एकता के लिए यहां शिव परिवार की तस्वीर लगाने से शुभ फलों में वृद्धि संभव है।