हिन्दू धर्म में किसी धार्मिक अनुष्ठान हो या पूजा-पाठ, लगभग सभी अवसर पर लोग अपने हाथ की कलाई पर लाल धागा बांधते हैं, जिसे अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग नाम से जाना जाता है। कई लोग इसे रक्षासूत्र या मौली कहते हैं। माना जाता है कि असुरों के दानवीर राजा बलि की अमरता के लिए भगवान वामन ने उनकी कलाई पर रक्षा-सूत्र बांधे थे। रक्षाबंधन का प्रतीक माने दाने वाले रक्षा-सूत्र को माता लक्ष्मी ने राजा बलि के हाथों में अपने पति की रक्षा के लिए ये बंधन बांधा था। इसके बाद से ही हिंदु धर्म मे इसका धार्मिक महत्व है। लेकिन बहुत कम लोग जानते हैं कि रक्षा-सूत्र के अपने वैज्ञानिक लाभ भी हैं।
हाथ, पैर, कमर और गले में मौली बांधने से आपको स्वास्थ्य लाभ भी होता है, जैसे कि इससे त्रिदोष यानि वात, पित्त और कफ का संतुलन बना रहता है। इसके बांधने से रक्तचाप, हृदयाघात, मधुमेह और लकवा जैसे गंभीर बीमारियों से बचाव करने में भी लाभ होता है।