नैनीताल-सोमवार को एक मां (इंदिरा हृदयेश) ने दूसरी मां (गार्गी नदी) के तट पर अंतिम प्रस्थान किया। सैकड़ों लोग अपनी मां, दीदी या रहनुमा के रूप में जानी जाने वाली डॉ. इंदिरा हृदयेश को अंतिम विदाई देने के लिए पहुंचे थे। हर कोई स्तब्ध था और दुखी भी। विश्वास करना भी मुश्किल था कि यह सब कैसे हो गया। सबके पास यादों की पोटली में उनसे जुड़ी कोई न कोई बात और किस्सा था। हर किस्से में ममत्व, अपनत्व के साथ उनकी कुशलता, दक्षता और अनुभवों की बातें थीं।