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• Tue, 11 May 2021 4:54 pm IST


पतंजलि के सकारात्मक उपचार उसे ठीक हो रहे कोरोना के मरीज- स्वामी रामदेव और आचार्य बाल कृष्ण


हरिद्वार। पतंजलि के लिए देश व्यापार नहीं अपितु एक परिवार है। यह शब्द कई बार  स्वामी रामदेव जी महाराज व पूज्य आचार्य बालकृष्ण  महाराज के श्रीमुख से सुनने को मिलते हैं। उन्होंने अपने समाजसेवी कार्यों से इन शब्दों को चरितार्थ भी किया है। ऐसा ही परोपकार का बड़ा कार्य पतंजलि के द्वारा हरिद्वार में किया जा रहा है। कोरोना की इस कारुणिक बेला में जहाँ परिवार व रिश्तेदार अपना बचाव करते नजर आ रहे हैं वहाँ पतंजलि देश व समाज सेवा में संलग्न है। हमारे लाखों कार्यकर्ता दिन-रात रोगियों की चिकित्सा व अन्य सेवा कार्यों में जुटे हुए हैं।

कोरोना के इस महादानव को चुनौती देते हुए पतंजलि ने उत्तराखंड सरकार के साथ 150 बेड का हॉस्पिटल हरिद्वार में प्रारंभ किया है जो पूर्णतया निःशुल्क है। यहां पर होलिस्टिक ट्रीटमेंट एक आदर्श मॉडल के रूप में इस अस्पताल से निरंतर सेवा प्रदान की जा रही है। यहां आधुनिक संसाधनों के साथ आयुर्वेदिक चिकित्सा की वैज्ञानिक व्यवस्था भी है।

पतंजलि द्वारा संचालित हरिद्वार स्थित यह बेस हॉस्पिटल देश का अपनी तरह का पहला कोरोना रोगियों के लिए एकीकृत समग्र उपचार केंद्र है। यहां रोगियों का उपचार सकारात्मकता के साथ-साथ अत्याधुनिक संसाधनों, एलोपैथी चिकित्सा, योग-आयुर्वेद, प्राकृतिक एवं आहार चिकित्सा, यज्ञ चिकित्सा के अद्भुत संयोग से किया जा रहा है। इस निःशुल्क कोविड केयर सेंटर का संचालन श्रद्धेय योगऋषि स्वामी रामदेव  महाराज तथा पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण  महाराज के सतत प्रयास व उत्तराखंड सरकार के सहयोग से संभव हुआ है। 
इस अवसर पर  आचार्य बालकृष्ण  महाराज ने कहा कि शब्द की ध्वनि से कर्म की ध्वनि गहरी होती है। उत्तराखंड सरकार के सहयोग से पतंजलि द्वारा किए जा रहे सेवा कार्य का परिणाम है कि यहां के अस्पताल में कोविड के लगभग 60-70 रोगी स्वास्थ्य लाभ प्राप्त कर रहे हैं। इनमें से अधिकांश रोगी अब पूर्ण स्वास्थ्य की ओर अग्रसर हैं। उन्होंने कहा कि कोरोना पर सफल अनुसंधान में भी पतंजलि अग्रणी है। 2-DG Compund को सर्वप्रथम पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट (PRI) की वैज्ञानिक टीम नेSIMATS के साथ मिलकर कोविड-19 के विरुद्ध प्रभावी पाया है।

आचार्यश्री ने कहा कि आज आयुर्वेद, योग-प्राणायाम पर लोगों की स्वीकार्यता बढ़़ी है। पूरा विश्व एलोपैथी चिकित्सा पद्धति से विमुख होकर वापस अपने ऋषियों की पुरातन चिकित्सा पद्धति योग व आयुर्वेद को अपना रहा है। उन्होंने देशवासियों से आह्नान किया कि आपदा की इस घड़ी में सरकार द्वारा निर्धारित गाइडलाईन्स का पालन करते हुए एक-दूसरे का सहयोग करें।