उत्तराखंड की लोक विरासत को संजोए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले परंपरागत ढोल वादकों (बाजगी व ढोली) को सरकार की ओर से कोरोनाकाल के मद्देनजर प्रोत्साहन राशि देने की कोई योजना नहीं है। अलबत्ता, उनकी विधा को संजोये रखने के मद्देनजर उन्हें तीन हजार रुपये की मासिक पेंशन देने के साथ ही अन्य कदम जरूर उठाए गए हैं।
परंपरागत ढोल वादक पहले ही अस्तित्व के संकट से जूझ रहे हैं और उस पर रही-सही कसर पूरी कर दी कोरोनाकाल ने। शादी-ब्याह अथवा अन्य कार्यक्रमों में उन्हें बुलाने का क्रम कम हुआ है। ऐसे में बाजगियों व ढोलियों को आर्थिक दुश्वारियों का सामना करना पड़ रहा है। वे भी आस लगाए बैठे हैं कि पर्यटन, स्वास्थ्य समेत अन्य क्षेत्रों की भांति सरकार उन्हें भी आर्थिक प्रोत्साहन देगी, लेकिन उनकीयह साध अभी तक पूरी नहीं हो पाई है। वह भी तब जबकि, प्रदेश में बाजगियों, ढोलियों की संख्या काफी कम है।