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• Mon, 18 Mar 2024 3:55 pm IST


आरएएस बदलेगा मत्स्य पालकों की तकदीर, जानें कैसे


चंपावत। भाकृअनुप-शीतजल मात्स्यिकी अनुसंधान निदेशालय और प्रायोगिक मत्स्य प्रक्षेत्र छीड़ापानी में देश के पहले स्टेट ऑफ द आर्ट रेनबो ट्राउट मछली रिसर्कुलेटरी एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) का निर्माण शुरू हो गया है। आरएएस की मदद से एक ही पानी को री-साइकिल कर रेनबो ट्राउट का उत्पादन किया जाएगा। इस सिस्टम के बनने से प्रतिदिन लाखों लीटर पानी की बचत होगी और मत्स्य पालन की लागत कम होने से पालकों को काफी मुनाफा होगा।प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना के तहत 3.64 करोड़ की लागत से आरएएस का निर्माण किया जा रहा है। आरएएस का निर्माण होने के बाद एक ही पानी को री-साइकिल कर रेनबो ट्राउट का उत्पादन किया जाएगा। इससे प्रतिदिन करीब सात लाख लीटर पानी की बचत से जल संवर्धन को भी बढ़ावा मिलेगा। आरएएस से रेनबो ट्राउट के सफल उत्पादन के बाद देश के अन्य हिस्सों में भी रेनबो ट्राउट मछली के उत्पादन की अलग-अलग आरएएस इकाई स्थापित की जाएंगी।वृहद स्तर पर बनने वाले आरएएस में करीब डेढ़ करोड़ लागत की मशीन लगाकर पानी को री-साइकिल किया जाएगा। आरएएस में मछलियों के लिए ऑक्सीजन जेनरेटर का इस्तेमाल किया जाएगा। वृहद स्तर पर बनने वाले आरएएस में मत्स्य पालकों को प्रशिक्षण भी दिया जाएगा। साथ में शोध कार्य भी किए जाएंगे। इसके बनने के बाद शोधार्थियों को नीली क्रांति के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उत्पादन की तकनीक को विकसित करने में आसानी होगी। इससे पूर्व भीमताल में रेनबो ट्राउट के शोध के लिए छोटे स्तर (ट्रायल) पर आरएएस का निर्माण किया गया था और इसका सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया था।