अरसा...इसे एक बार मुंह में रख लीजिए, तो कभी ना भूलने वाली मिठास मंह में घुल जाती है। आज खाइए, या कल खाइए, या एक महीने बाद, अरसे का स्वाद ताउम्र एक जैसा रहता है।
आज अरसा बनाने की कला हर गढ़वाली भूल रहा है। गढ़वाली हम इसलिए कहेंगे क्योंकि ये डिश आपको उत्तराखंड केे गढ़वाल में ही मिलेगी। अब सवाल ये है कि आखिर अरसा सिर्फ गढ़वाल में ही कैसे आया है ।
अगल बगल देखो तो ना ही कुमाऊं, ना ही नेपाल, ना ही तिब्बत, ना ही हिमाचल , कहीं भी अरसा नहीं बनता, फिर ये गढ़वाल में कैसे आ गया ? कभी सोचा है ? तो लीजिए हम आपको बता दे रहे हैं।
जिस अरसा को आप गढ़वाल में खाते हैं, उसे कर्नाटक या यूं कहें कि दक्षिण भारत में अरसालु नाम से पुकारते हैं।