देहरादून: उत्तराखंड पेयजल निगम में आरक्षण रोस्टर के आधार पर तैयार जूनियर इंजीनियरों की वरिष्ठता सूची से कोई भी खुश नहीं है। वरिष्ठता सूची को लेकर हर वर्ग के जूनियर इंजीनियरों ने मुख्यालय में अपनी आपत्तियां दर्ज कराई हैं। उत्तराखंड में पेयजल निगम प्रबंधन ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद जूनियर इंजीनियरों की वरिष्ठता सूची बदल दी है। कोर्ट के आदेशानुसार इस बार वरिष्ठता सूची मेरिट की बजाय आरक्षण रोस्टर के अनुसार बनाई गई है। रोस्टर वर्ष 2005 के अनुसार तय किया गया है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट तक केस लड़ने वाले अनुसूचित जाति वर्ग के जूनियर इंजीनियर सुनील कुमार ने आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि जल निगम प्रबंधन ने वर्ष 2005 को रोस्टर का आधार बनाया है जबकि इसके लिए वर्ष 2000 को आधार बनाया जाना चाहिए। दूसरी ओर जनरल कैटेगरी के जूनियर इंजीनियर सुभाष सुंदरियाल का कहना है कि पूरे देश में कहीं भी वरिष्ठता का निर्धारण आरक्षण रोस्टर के अनुसार नहीं होता। सुंदरियाल ने कहा कि यदि सरकार और प्रबंधन ने रिव्यू फाइल नहीं किया, तो इंजीनियर खुद यह काम करेंगे।