चीन सीमा से सटे सीमांत धारचूला के दारमा और व्यास घाटियों में स्वास्थ्य की कोई सुविधा नहीं है। दोनों घाटियों के 21 गांवों के लोगों को मामूली तकलीफ जुकाम-बुखार की दवा के लिए भी सेना या अर्द्धसैनिक बलों पर निर्भर रहते हैं।
सीमा पर दुश्मन की किसी तरह की अवांछित गतिविधि हो या फिर युद्ध जैसे मौके पर सेना को मदद पहुंचानी हो सीमांत के लोगों ने हमेशा ही द्वितीय रक्षा पंक्ति की भूमिका निभाई है, लेकिन इस भूमिका के बावजूद सीमांत क्षेत्र आज भी उपेक्षित ही है। इसका उदाहरण धारचूला तहसील की दारमा और व्यास घाटियां हैं।