देवभूमि में कौवा हमारी लोक सांस्कृतिक विरासत का अहम हिस्सा है। पर्व, त्योहार, धार्मिक मान्यताओं में कौवे का बड़ा महत्व है। घी संग्राद हो या श्राद्ध पक्ष दोनों कौवे के बिना अधूरे माने जाते हैं। इन दिनों पितृ पक्ष चल रहा है, लेकिन पहाड़ में प्रसाद ग्रहण करने के लिए लोगों को एक भी कौवा नजर नहीं आ रहा है। जहां लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बने कौवे के नहीं दिखने को पितृ दोष के रूप में देखा जा रहा है।