7 मार्च, मंगलवार यानी आज फाल्गुन माह का अंतिम दिन है। इस दिन फाल्गुन पूर्णिमा का व्रत और होलिका दहन किया जाएगा। कल 8 मार्च, बुधवार को से चैत्र माह की शुरूआत हो रही है। होलिक दहन के दो दिन बाद भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। साल में दो बार भाई दूज पर्व मनाया जाता है। एक कार्तिक महीने में दीपावली के दूसरे दिन, वहीं दूसरा चैत्र महीने में होली के दूसरे दिन। भाई दूज भाई-बहन के प्यार का प्रतीक है। इस पावन पर्व पर बहनें अपने भाई को तिलक लगाकर उसकी लंबी उम्र, उत्तम स्वास्थ, उज्जवल भविष्य की कामना करती हैं। होली के बाद भाई दूज का त्योहार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि को मनाया जाता है। इस साल होली की भाई दूज 9 मार्च, गुरुवार को मनाई जाएगी। इसे भातृ द्वितीया के नाम से भी जाना जाता है। यह त्यौहार भाई-बहनों के बीच स्नेह बन्धन को सुदृढ़ करता है। इए जानते हैं इस साल होली के बाद भाई दूज तिलक का शुभ मुहूर्त और महत्व।
भाई दूज का शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार चैत्र माह के कृष्ण पक्ष की द्वितीया तिथि 8 मार्च,को शाम 07 बजकर 42 मिनट से शुरू होगी और अगले दिन 9 मार्च को रात 8 बजकर 54 मिनट पर खत्म होगी। इस दिन दोपहर में भाई को तिलक करने की परंपरा है।
होली भाई दूज का महत्व
पारंपरिक त्योहारों में भाई दूज का खास महत्व है। ये त्योहार भाई-बहनों के बीच आपसी प्रेम को और ज्यादा मजबूत करता है। मान्यता है कि जो बहनें भाई दूज पर भाई को अपने घर प्रेमपूर्वक आमंत्रित करके भोजन करवाती हैं और तिलक लगाकर स्वागत करती हैं। उनके भाइयों की आयु में वृद्धि होती है, उसके जीवन में संकटों का नाश होता है। कई जगह होली की भाई दूज पर महिलाएं व्रत रखती हैं और भाई को भोजन कराने के बाद ही व्रत खोलती हैं।
भाई को ऐसे करें तिलक
होली की भाई दूज पर बहनें सुबह स्नान आरती की थाल तैयार करें। उसमें रोली, अक्षत, दीपक, मिठाई, सुपारी या सूखा गोला आदि रखें। भाई को भोजन का निमंत्रण दें। सबसे पहले भगवान गणेश और विष्णु जी को तिलक करें। चावल का चौक पूरकर लकड़ी के पाट पर भाई को ऐसे बैठाएं की उसका मुख उत्तर-पश्चिम दिशा में हो। अब कुमकुम का टीका कर उसपर चावल लगाएं। कलावा बांधें और भाई का मुंह मीठा कराएं और श्रीहरि से उसकी लंबी उम्र की कामना करें। इस दिन भाई बहन को उपहार भेंट करते हैं। बहन अपने हाथों से बना हुआ भोजन को खिलाने के बाद ही भाई को विदा करें।