केंद्र सरकार के आंकड़ों के मुताबिक कोरोना महामारी की पहली लहर थमते ही राज्य कोरोना के प्रति एकदम से लापरवाह हो गए। महामारी से निपटने के लिए बने अस्थाई अस्पतालों को ही नहीं हटाया, बल्कि टीकाकरण अभियान में गंभीर सुस्ती दिखाई।
विपक्ष शासित अधिकतर राज्यों ने जनवरी से मार्च महीने तक उपलब्ध कराए गए टीकों का बमुश्किल एक तिहाई टीका ही इस्तेमाल किया। ज्यादातर राज्य फ्रंटलाइन वर्कर और स्वास्थ्यकर्मियों के टीकाकरण अभियान में राष्ट्रीय स्तर को छू भी नहीं सके। आंकड़ों के मुताबिक जनवरी से मार्च तक उपलब्ध कराए गए टीके के प्रति लापरवाही हैरान करने वाली है। पहली लहर खत्म होने और दूसरी लहर की शुरुआत के बीच राज्यों ने आपराधिक लापरवाही बरतते हुए टीकाकरण अभियान को प्रतीकात्मक बना कर रख दिया।