चमोली-माणा गांव स्थित घंटाकर्ण महाराज के कपाट मंगलवार को विधि-विधान के साथ खोल दिए गए। इस दौरान मंदिर को भव्य रूप से सजाया गया था। मंदिर के कपाट हर साल ज्येष्ठ माह की संक्रांति को खोले जाते हैं। इसके साथ ही माणा गांव में ज्येष्ठ पुजै का तीन दिवसीय उत्सव शुरू हो जाता है। हर साल इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहते हैं लेकिन पिछले साल से कोरोना के चलते समारोह को सादे ढंग से मनाया जा रहा है। मंगलवार सुबह घंटाकर्ण के पाश्व आशीष कनखोली महाराज की मूर्ति को एकांतवास के गुफास्थल से माणा गांव स्थित मंदिर में लेकर जाया गया। पूजा अर्चना के साथ सभी धार्मिक अनुष्ठान पूरे करते हुए मूर्ति को मंदिर में स्थापित कर दिया गया। अब बदरीनाथ मंदिर के कपाट खुले रहने तक घंटाकर्ण महाराज की पूजा-अर्चना इसी मंदिर में होगी। बदरीनाथ मंदिर के कपाट बंद होने के साथ ही घंटाकर्ण मंदिर के कपाट भी बंद हो जाते हैं और पाश्व मूर्ति को अज्ञात गुफा में विराजमान कर दिया जाता है। छह माह तक घंटाकर्ण महाराज यहां तपस्या करते हैं।