Read in App


• Mon, 8 Feb 2021 11:15 am IST


हरिद्वार में आज भी ताजा हैं वर्ष 2013 की आपदा के जख्म


वर्ष 2013 की आपदा की याद दिला गया शनिवार


हरिद्वार में आज भी जिंदा है 2013 की आपदा के जख्म

हरिद्वार ।चमोली के जोशीमठ में ग्लेशियर फट जाने से आई आपदा ने हरिद्वार में वर्ष 2013 में आई भीषण आपदा की याद ताजा करा दी ।

आज भी हरिद्वार में कई ऐसे स्थान है जहां वर्ष 2013 की आपदा के जख्म जिंदा है । अभी तक भी खंडहर में तब्दील मकान जस के तस पड़े हुए हैं ।

उत्तराखंड में प्राकृतिक आपदाएं समय-समय पर अपना रौद्र रूप दिखाती रहती हैं 16 जून 2013 को भारी बारिश के बीच आई केदारनाथ आपदा आज भी जब याद आती है तो लोग सिहर उठते हैं । पूरे उत्तराखंड में इस आपदा का गंभीर प्रभाव देखने को मिला था । धर्म नगरी हरिद्वार में भी कई मकान आपदा के कारण जमींदोज हो गए थे।  हर की पौड़ी के सामने रेलवे लाइन पार स्थित श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर परिसर में स्थित चार मंजिला भवन रेल के डिब्बे की तरह धड़ धड़ धड़ धड़ कर धरती में समा गया था । गनीमत यह रही थी कि लगातार 3 दिन से हो रही बारिश के कारण इस भवन में कोई व्यक्ति नहीं था और मंदिर के ऊपर पहाड़ी पर झील बन जाने के बाद जब पूरे धमाके के साथ यह झील फटी तो पूरे भवन को अपने साथ बहाकर ले गई थी।  आज भी मंदिर परिसर में इस भवन का मलबा पड़ा हुआ है मंदिर में जाने के लिए बनाया गया मुख्य द्वार भी आपदा की भेंट चढ़ गया था उसके पिलर अभी भी हादसे की भयावहता का एहसास कराते हैं।

इसी तरह हरिपुर कला में गीता कुटीर आश्रम के सामने गंगा तट किनारे स्थित कई मकान भी 2013 की आपदा में बह गए थे इनमें से कुछ होटल और मकानों का आधा हिस्सा आपदा की भेंट चढ़ गया था आज भी यह मकान जस के तस आधे टूटे ही खड़े हैं ।

श्री पंचमुखी हनुमान मंदिर के संचालक महंत घनश्याम दास महाराज आपदा की याद ताजा होते ही गंभीर हो जाते हैं। उन्होंने बताया कि इस आपदा ने बहुत नुकसान किया था आज भी जब उसकी याद ताजा होती है तो दिल और दिमाग सिहर उठता है वही हरिपुर कला निवासी जतिन शर्मा ने बताया कि 16 जून को सुबह से ही आपदा ने कहर बरपाना शुरू कर दिया था। लोग सुरक्षित स्थानों पर जाने को परेशान थे ।

जैसे तैसे लोगों ने अपनी जान बचाई थी वरिष्ठ पत्रकार सुनील दत्त पांडे ने बताया कि 2013 की आपदा ने कनखल के बैरागी कैंप में भी काफी नुकसान पहुंचाया था।