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DevBhoomi Insider Desk
• Thu, 11 May 2023 3:31 pm IST


कभी लगाने जा रही थीं फांसी, अब हैं बड़ी अफसर, रौंगटे खड़े कर देने वाली है सविता प्रधान के संघर्ष की दस्तां


मध्य प्रदेश सरकार में संयुक्त सचिव के पद पर तैनात सविता प्रधान आज एक सम्मानित पद पर हैं लेकिन ये पद उन्हें तमाम संघर्षों के बाद मिला है। दरअसल, सविता की शादी बेहद कम उम्र में  हो गई थी, लेकिन ससुराल में उन्हें हद से ज्यादा प्रताड़ित किया जाता था। समाज की परंपरागत बेड़ियों में जकड़ीं सविता प्रधान कुछ दिनों तक सब कुछ सहती रहीं और सब कुछ सुधरने का इंतजार करती रहीं लेकिन एक समय में हालात इतने बदतर हो गए कि  उन्होंने आत्महत्या तक का मन बना लिया और फांसी के फंदे पर झूलने की तैयारी कर ली, तभी अचानक से कुछ ऐसा हुआ कि उनका इरादा एकदम से बदल गया है और वे ससुराल से अपने बच्चों को लेकर निकल गईं। इसके बाद  बच्चों की परवरिश के साथ-साथ उन्होंने पीएससी की तैयारी शुरू कर दी। सविता ने दिन रात कड़ी मेहनत की और पहली बार में ही परीक्षा क्लियर कर ली। सविता प्रधान बताती हैं कि अपने गांव से 10वीं पास करने वाली वे पहली लड़की हैं। 

 10 साल बड़े लड़के से हुई थी शादी 

10वीं पास करने के कुछ समय बाद ही परिवार  में उनकी शादी की बात चलने लगी। उन्होंने बताया कि जब वे 16-17 साल की थी तभी 10 साल बड़े लड़के से उनकी  शादी करा दी गई थी। उन्होंने बताया कि वह जब मुझे देखने आया था तभी उसने मेरे साथ बदसलूकी की थी तो  मैंने शादी से इनकार कर दिया लेकिन  घरवालों के समझाने के बाद मैं शादी के लिए तैयार हो गई। उन्होंने कहा, शादी के बाद मैं ससुराल पहुंची तो वहां मेरे लिए कई कायदे कानून थे। पूरे परिवार का खाना बनाना होता था। साथ ही सिर पर हमेशा पल्लू रहता था। पति बात-बात पर मेरी पिटाई कर देते थे। सविता कहती हैं कि इसी बीच एक बार मैं इस दौरान मैं बीमार पड़ गई  तो मुझे एक अस्पताल में छोड़ दिया गया, जहां मुझे पता चला कि मैं प्रेग्नेंट हूं, कुछ दिनों बाद बेटे को जन्म दिया। इसके बाद मैं ससुराल जाने के लिए तैयार नहीं थी लेकिन फिर से मायके वालों ने  समझाया कि सब कुछ ठीक हो जाएगा। इसके बाद मैं ससुराल आ गई लेकिन फिर से वही मारपीट का सिलसिला शुरू हो गया। कुछ महीनों बाद मैं दूसरे बच्चे की मां बनने वाली थी। 

फांसी लगाने की कर ली थी तैयारी

इसके जन्म के बाद भी ससुराल वालों का व्यवहार नहीं बदला। वे  कहती हैं कि ससुराल में इतनी पाबंदियां थीं कि हम खाना भी नहीं सही से खा सकते थे। ससुराल के सभी लोगों के खाने के बाद आखिरी में मुझे खाना होता था और अगर खाना नहीं बचा तो दोबारा से बना भी नहीं सकते थे। ऐसे में खाना बनाने के बाद मैं रोटी अंडर गारमेंट्स में छुपा लेती थी और बाथरूम में जाकर खाती थी। उन्होंने बताया कि एक दौर ऐसा आया कि मैं जान देने जा रही थी। अपने बच्चों को खूब प्यार किया और कमरे का दरवाजा बंद कर लिया। इसके बाद साड़ी से फांसी का फंदा बनाया और उसे गले में डालने ही जा रही थी तब मेरी नजर खिड़की पर गई जो खुली हुई थी, वहां मेरी सास खड़ी थी। उन्होंने मुझे कुछ नहीं बोला। इसके बाद मैंने सोचा कि क्या मैं इनके लिए जान देने जा रही हूं।  इसके बाद मैंने इरादा बदल दिया और वहां से  निकलने का फैसला किया। इसके बाद वे अपने ससुराल से निकल गई और एक रिश्तेदार के पास रहने चली गईं।  बच्चों की परवरिश के लिए एक पॉर्लर में जॉब करने लगी। इसके बाद मेरी मां आ गई और मैंने उनके साथ एक छोटे कमरे में रहकर तैयारी शुरू कर दी। 

अफसर बनने के बाद भी पीटता था पति

साथ ही पढ़ाई करती थी। उन्होंने बताया कि पहली बार मैंने रोजगार समाचार में पीएससी की वैकेंसी देखी और उसका फॉर्म भरकर तैयारी शुरू कर दी। पहली बार में ही मेरा पीटी क्लियर हो गया जिससे हौसला बढ़ा।  इसके बाद मेरा मेंस और इंटरव्यू भी क्लियर हो गया और मैं अफसर बन गईं। वे कहती हैं कि अलग रहने के बाद भी पति का आना कम नहीं हुआ। वे आकर मारपीट तक करते थे। इस बीच उन्होंने अपनी परेशानी जिले के एसपी से शेयर की तो  उन्होंने मदद की। सविता बताते हैं कि इसके बाद जब पति ने सरकारी बंगले पर पहुंचकर पिटाई शुरू की तो उन्होंने  पुलिस को खबर दे दी। इसके बाद पुलिस ने पति की खूब खातिरदारी की। सविता प्रधान ने कहा कि मैं पहली महिला हूं, जिसका एक दिन की सुनवाई में तलाक हो गया। इसके बाद साल  2015 में सविता प्रधान ने दूसरी शादी कर ली और अब वे अपने बच्चों और पति के साथ खुशहाल जिंदगी जी रही हैं।