बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा पीड़िता व उसकी मां भले बयान से पलटे है, लेकिन डीएनए टेस्ट से पुष्टि हुई है। आरोपी परिवार में अकेला कमाने वाला होने की वजह से मां और पीड़िता अपने बयान से पलटे है।
एक विशेष अदालत ने 41 साल के व्यक्ति को अपनी नाबालिग बेटी से दुष्कर्म करने का दोषी पाए जाने पर 20 साल कैद की सजा सुनाई है। इस मुकदमे में खास बात है कि, अदालत में गवाही के दौरान 16 साल की पीड़िता और उसकी सगी मां ने दुष्कर्म के आरोप इंकार कर दिया था। लेकिन, डीएनए टेस्ट में अपराध की पुष्टि हो चुकी थी, इसलिए अदालत ने स्वंय ही उनकी गवाही को महत्वपूर्ण न मानकर मुकरने की वजह बताई।
इस पॉक्सो केस की सुनवाई के बाद विशेष जज अनीस खान ने आदेश में कहा, बालिका दुष्कर्म की वजह से गर्भवती हो चुकी थी। उसके भ्रूण का डीएनए टेस्ट हुआ, जिसमें बालिका का सौतेला पिता ही दुष्कर्मी साबित हुआ। यह ऐसी विशेष परिस्थिति है, जहां पीड़िता भले ही अदालत में बयान से पलट गई, लेकिन आरोपी का अपराध डीएनए जांच ने साबित किया।
सजा सुनाते हुए जज ने लिखा है, यह बेहद गंभीर और घृणित अपराध है जिसमें 16 साल की बालिका से उसके सौतेले पिता ने दुष्कर्म किया। पीड़िता व उसकी मां बयान से पलट रहे हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि आरोप साबित नहीं हुए और और सजा नहीं होगी।