नींद की गुणवत्ता को लेकर किए गए अध्ययन में शोधकर्ताओं ने पाया कि नींद के दौरान किसी भी तरह की रोशनी होने से मस्तिष्क के लिए गहरी नींद प्राप्त करना मुश्किल हो जाता है। रात में कृत्रिम प्रकाश मेलाटोनिन नामक हार्मोन के स्तर को भी प्रभावित कर सकता है, यह हार्मोन नींद की गुणवत्ता के लिए आवश्यक मानी जाती है। मेलाटोनिन के स्तर में होने वाली समस्या के कारण कैंसर और मधुमेह सहित कई तरह की अन्य बीमारियों का जोखिम भी बढ़ जाता है।आइए जानते हैं कि रात के समय रोशनी करके सोने से शरीर को कौन-कौन से नुकसान हो सकते हैं?
कई तरह की क्रोनिक बीमारियों का जोखिम- अध्ययन से पता चलता है कि रात में लाइट ऑन करके सोने के कारण नींद में बाधा आ सकती है। अगर लंबे समय तक नींद की समस्या इसी तरह से बनी रहती है इसके कारण कई तरह की क्रोनिक बीमारियों का जोखिम हो सकता है। ऐसे लोगों में समय के साथ उच्च रक्तचाप , हृदय रोग और टाइप-2 डायबिटीज जैसी समस्या होने का जोखिम कई गुना अधिक हो सकता है।
अवसाद का बन सकता है कारण- रात में लाइट ऑन करके सोने से मस्तिष्क के कार्यों पर प्रभाव हो सकता है, जिससे दीर्घकालिक तौर पर अवसाद विकसित होने का जोखिम होता है। इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों से निकलने वाली नीली रोशनी आपके मूड पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। नींद की कमी भी मूड विकार और चिड़चिड़ापन का कारण बन सकती है। जो लोग किन्हीं कारणों से पर्याप्त नींद नहीं ले पाते हैं, उनमें समय के साथ डिप्रेशन होने का खतरा रहता है।
बढ़ सकता है मोटापा- महिलाओं पर किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि जो लोग लाइट ऑन करके सोती हैं उनमें मोटापा अधिक पाया जाता है। अध्ययन के दौरान प्रतिभागियों में 1 वर्ष में लगभग 4.5 किग्रा तक बढ़े हुए वजन की समस्या देखी गई। शोधकर्ताओं ने पाया कि लाइट ऑन करके सोने से दिमाग को पूरी तरह से आराम नहीं मिल पाता है। इससे शारीरिक हार्मोन्स के स्तर में गड़बड़ी आने के कारण वजन बढ़ने की समस्या हो सकती है।