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• Mon, 1 Jan 2024 5:16 pm IST


विलुप्ति की कगार पर हिमालयन पाइका , सुरक्षा में जुटी वन विभाग की टीम


अस्कोट (पिथौरागढ़)। उच्च हिमालयी क्षेत्र में पाया जाने वाला हिमालयन पाइका विलुप्ति की कगार पर है। शिकारियों से इसके संरक्षण के लिए वन विभाग की टीम उच्च हिमालयी क्षेत्रों में गश्त कर रही है। बिना पूंछ के खरगोश जैसा दिखने वाला पाइका 2500 से 3500 मीटर की ऊंचाई तक पाया जाता है। यह शाकाहारी जीव है। पाइका काफी शर्मीला और फुर्तीला होता है। कई गुणों के कारण यह शिकारियों की नजर में रहता है। इसकी खाल से टोपी और दस्ताने बनाए जाते हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार में पाइका की चमड़ी से बनी वस्तुओं के दाम एक से डेढ़ लाख रुपये कीमत के बिकते हैं। इसके मांस की कीमत एक लाख रुपये प्रति 10 ग्राम है। इसके मांस को यौनवर्धक दवाइयों में भी इस्तेमाल किया जाता है। इसके मांस की सर्वाधिक मांग चीन में रहती है।सूत्रों के अनुसार लंबे समय तक यारसा गंबू की तस्करी करने वालों ने हिमालयन पाइका की भी तस्करी की। अधिक ऊंचाई वाले क्षेत्रों में पाए जाने वाले गुच्छी एक प्रकार का मशरूम, यारसा गंबू और अन्य दुर्लभ जड़ी बूटियों के पत्ते इसका प्रिय भोजन हैं। उत्तराखंड के दारमा, व्यास वैली, मुनस्यारी के बुग्यालों के अलावा यह हिमाचल, लेह लद्दाख, जम्मू-कश्मीर आदि क्षेत्रों में पाया जाता है।
छिपलाकोट कस्तूरा मृग विहार क्षेत्र में वन विभाग अस्कोट ने पाइका के संरक्षण के लिए विशेष रूप से प्रयास किया है। वन क्षेत्राधिकारी बालम सिंह अलमिया ने बताया कि वन विभाग की टीम पाइका के साथ ही अन्य दुर्लभ वन्य जीवों की सुरक्षा के लिए लगातार नजर रख रही है।