Read in App

DevBhoomi Insider Desk
• Fri, 15 Apr 2022 6:44 pm IST


जोशीमठ में 80 साल बाद आयोजित हुआ दीप स्पर्श देवरा


उच्च हिमालयी क्षेत्र में हजारों वर्षों से चली आ रही परंपराएं व मान्यताएं, देव उत्सव आज भी जिन्दा है। भले ही धीरे-धीरे कुछ देव उत्सव अब शिथिल पड़ते जा रहे हैं लेकिन बदरीविशाल के प्रवेश द्वार कहे जाने वाले नगर जोशीमठ में कई देव उत्सव एवं परंपराएं आज भी शंकाराचार्य युग से चली आ रही हैं उनमें से एक है दीप स्पर्श देवरा यात्रा।जोशीमठ में देव पुजाई समिति के द्वारा 80 वर्षों के अंतराल के बाद दीप स्पर्श देवरा यात्रा का आयोजन किया गया। जिसका मुख्य उद्देश्य जोशीमठ की आराध्य चण्डिका के दीपक को स्पर्श कर आने वाले समय के लिए उनके पुजारियों को चुनना था ताकि भविष्य विविध देव अनुष्ठानों का आयोजन हो सके। 80 वर्ष के अंतराल के बाद आयोजित हुए इस देव उत्सव को लेकर पूरे जोशीमठ में खासा उत्साह रहा। इसे देखने व मां चण्डिका से आशीर्वाद लेने भारी तादात में भक्त पहुंचे। बदरीनाथ मंदिर के धर्माधिकारी भुवन उनियाल, समिति के अध्यक्ष भगवती नंबूरी ने बताया कि जोशीमठ में आयोजन होते रहे विविध देव उत्सवों के अब बहुत कम पुजारी जीवित बजे हैं व जो बचे हैं वे अधिकांश काफी बूढ़े हो गए हैं इसलिए नये पुजारियों को चुनने के लिए इस देवरे का आयोजन किया गया। बताया कि 10 से 60 वर्ष के लगभग 60 लोगों ने चण्डिका के दीये को छुआ व उसके बाद पुजारियों का चयन हुआ। भुवन उनियाल कहते हैं कि यह एक काफी बड़ा दीपक है जिसे गढ़वाली बोली में भ्यंगार कहते हैं ।मान्यतानुसार इस देवरायात्रा के दौरान चण्डिका माता जिसे राजरजेश्वरी के रूप में पूजा जाता है नृसिंहमंदिर गर्भ गृह में विश्राम करती है। जबकि दुर्गा माता पूरे क्षेत्र में भ्रमण करती है। बताया कि चंडिका देवरा तो प्रतिवर्ष फुलकोठ पर आयोजित होता है जबकि दीप स्पर्श देवरों का आयोजन 80 वर्ष बाद हुआ है। जिसे लेकर भक्तों में खासा कौतुहल रहा।