भारत-नेपाल सीमा पर स्थित झूलाघाट के सकुन गांव के ग्रामीणों ने बदहाल संचार सेवाओं को लेकर सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। कहा देश में संचार क्रांति के दावे हो रहे हैं। बावजूद इसके सीमा क्षेत्र के कई गांव आजादी के 75 साल बाद भी संचार सेवाओं से अछूते हैं। इन हालातों में उन्हें मजबूर होकर नेपाली सिम का उपयोग करना पड़ रहा है।
शनिवार को सकुन के ग्रामीणों ने ललित भंडारी के नेतृत्व में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन किया। उन्होंने कहा आजादी के 75 साल व राज्य निर्माण के दो दशक बाद भी भारत-नेपाल सीमा क्षेत्र के कई गांव संचार सेवा से नहीं जुड़ सके हैं। बावजूद इसके देश में संचार क्रांति के दावे हो रहे हैं। कहा संचार सेवा न होने से वे अपनो से हाय-हैलो भी नहीं कर सकते। किसी घटना की खबर प्रशासन तक पहुंचाना भी उनके लिए मुश्किल है। यहां तक कि आपातकालीन सेवा 108 से भी संपर्क करना चुनौती है। इन हालातों में गर्भवतियों व बीमारों को समय से अस्पताल पहुंचाना मुश्किल हो रहा है। मोबाइल में सिग्नल खोजने दो किमी की दौड़ लगानी पड़ रही है। बावजूद इसके उनकी यह परेशानी किसी को नहीं दिख रही। सीमा क्षेत्र के गांवों को जोड़ने के लिए गंभीरता से प्रयास नहीं हो रहे, जिससे यहां के लोग अपने को पिछड़ा समझने लगे हैं। इस दौरान ग्रामीणों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारे लगाए। चेतावनी देते हुए कहा शीघ्र उन्हें संचार सुविधा का लाभ नहीं मिला तो वे उग्र आंदोलन करेंगे।