बागेश्वर : लोकतांत्रित तरीकों से चलाए गए धरना प्रदर्शनों की ताकत से बने उत्तराखंड में नकल माफियाओं का राज चल रहा है। इस पर अंकुश लगाने व पेपर लीक मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग और तेज होने लगी है। विभिन्न संगठनों से जुड़े लोगों ने जिलाधिकारी के माध्मय से राज्यपाल को ज्ञापन सौंपा है। प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लने की मांग की है।राज्यपाल को भेजे ज्ञापन में उनका कहना है कि उत्तराखंड के नौजवानों द्वारा चलाए जा रहे धरने-प्रदर्शन को कुचलने के लिए राज्य सराकार अलोकतांत्रित तरीका अपना रही है। प्रदेश में पेपर लीक प्रकरण वर्ष 2020 से चल रहा है। उन्होंने पुलिस भर्ती, एसएसएससी, विधानसभा भर्ती घोटाला समेत हेलंग प्रकरण की सीबीआईजा चं जांच की मांग उठ चुकी है। इसके अलावा जोशीमठ के पीड़ितों का पुनर्ववास करने में भी सरकार असफल रही है। इसका प्रमाण जोशीमठ से दिल्ली जंतर-मंतर तक चल रहा जोशीमठ बचाओ आंदोलन है। उत्तराखंड आर्थिक रूप से निम्न स्तर वर्ग, निम्न मध्यम वर्ग की क्रय शक्ति चिंताजनक बनी है। इस पर सरकार पूरी तरह चुप्पी साधे हुई है। अल्मोड़ा, पिथौरागढ़, चम्पावत, बागेश्वर, चमोली, रुद्रप्रयाग, पौड़ी, उत्तरकाशी, टिहरी तथा तनीताल जिले में कृषि व पशुपालन जंगली जानवरों के चलते प्रभावित है। पहाड़ों से पलायन जारी है। प्रदेश सरकार पूरी तरह फैल हो गई है। उन्होंने राज्यपाल से राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के लिए राष्ट्रपति से सिफारिश करने की मांग की है। मांग करने वालों में हीरा बल्लभ भट्ट, संरक्षक उत्तराखंड क्रांति दल, भुवन कांडपाल, सदस्य सर्वोच्च सलाहकार समिति उत्तराखंड, रमेश पांडेय, अध्यक्ष सवाल संगठन आद शामिल हैं।